बादल की ओढे़ चुनर, देखो चांद निकल आया
महबूब मेरा है वो, मेरे मन को बहुत भाया
देखो चांद निकल आया।
ऐसा कभी नहीं सोचा, क्या है केमिकल लोचा
एहसास यही होता, मैं पानी, वो मेरा लोटा
इस सोच के साथ ही तो, मैंने प्यार मेरा पाया
देखो चांद निकल आया
हम दूर हुए तो क्या, यादों का सहारा है
जिन्दगी, समन्दर है, तो उम्र किनारा है
जो वक्त के साथ चला, यहां वही संभल पाया
देखो चांद निकल आया
दीदार की खातिर मैं, आसमान पे ताका करूं
घूंघट है बड़ा भारी, फिर भी मैं झांका करूं
उम्मीदों के साये में, इंतजार ही रंग लाया
देखो चांद निकल आया
मेरे गम और खुशी दोनों, आंसू से छलकते है
आंखों में गौर से देखो, अक्श उसके झलकते है
फिर मैं तो दीवाना, जो बनके चले साया
देखो चांद निकल आया
चेतन सिंह खड़का