मिसाइल के अलग-अलग प्रारुपों के पांच परीक्षण किए गए। इस अभियान के दौरान तीन मिसाइलों के कॉम्बेट प्रारूप का आयुध के साथ परीक्षण किया गया। मिसाइल की मारक क्षमता को स्थापित करने के लिए पैंतरेबाज लक्ष्यों पर निशाना साधकर उन्हें नष्ट किया गया। इन परीक्षणों में अधिकतम रेंज वाली टेलिमीटर मिसाइल द्वारा किया गया सीधा हमला भी शामिल है। मिसाइल की उपप्रणालियों ने सभी मिशन मापदंडों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सटीक प्रदर्शन किया।
आधुनिक दिशानिर्देश और नौवहन तकनीक से लैस अस्त्र बीवीआरएएएम की मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक है। लक्ष्य को सौ फीसदी सटीकता के साथ भेदने के लिए इस मिसाइल में पथ-प्रदर्शक और आरएफ की खोज करने वाला टर्मिनल पथ-प्रदर्शक लगा है।
डीआरडीओ द्वारा वायु सेना के साथ मिलकर एक अत्याधुनिक बीवीआरएएम के निर्माण के लिए हथियार प्रणाली के उपयोगकर्ता परीक्षण चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इस हथियार को विमान में लगाने के लिए उसे उन्नत बनाने में अहम भूमिका निभाई। अस्त्र हथियार प्रणाली को विकसित करने में 50 से ज्यादा सरकारी और निजी उद्योगों ने योगदान दिया है।
मिसाइल के मौजूदा परीक्षणों ने युद्ध के अलग-अलग हालात में इस मिसाइल प्रणाली की क्षमता को साबित किया है। यह मिसाइल इसके इस्तेमाल को लेकर जबरदस्त भरोसा देती है। अस्त्र के पांच सफल परीक्षणों की परिणाम भारतीय वायु सेना की मिसाइल प्रणाली में इसे शामिल किए जाने के तौर पर निकलेगा। अपनी सटीकता और हवाई खतरों को प्रभाली ढंग से नष्ट करने की खूबी के कारण यह बल की क्षमता में निश्चित तौर पर काफी इजाफा करेगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डा. जी सतीश रेड्डी ने दुर्जेय श्रेणी की हथियार प्रणाली के विकास एवं फ्लाइट परीक्षण के लिए 'अस्त्र' की टीम को बधाई दी है। इस कार्यक्रम के तहत विकसित की गई तकनीक भविष्य की हवा से हवा और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी।