एंटीबायोटिक खाने के कायदे
एंटीबायोटिक के खतरे को लेकर दुनियाभर में बात हो रही है। इन दवाओं का अनियमित इस्तेमाल बहुत नुकसान पहुंचा रहा है।
एजेंसी
लंदन। जानलेवा संक्रमणों से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक अब भी एक कारगर हथियार है लेकिन इसके नुकसान बहुत हैं। इसीलिए दुनिया फिक्रमंद है। भारत में एंटीबायोटिक के प्रतिरोधी संक्रमणों से कारण हर साल 50 हजार से ज्यादा बच्चों की जान जा रही है। इसे सुपरबग कहा जाता है। एंटीबायोटिक का असर कम होने के कारण बैक्टीरिया इतने मजबूत हो चुके हैं कि हर साल सात लाख लोग इस कारण जान से जा रहे हैं। 2050 तक यह तादाद करोड़ों में पहुंच सकती है।
एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया से पैदा होने वाली बीमारियों से लड़ती हैं। इसका मतलब है कि वे वायरस से नहीं लड़ सकतीं इसलिए सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए। यह दवा सिर्फ पानी के साथ खाई जानी चाहिए। दूध आदि डेयरी प्राडक्ट्स इसके प्रभाव को कम कर देते हैं। एक पूरा गिलास पानी पीकर दवा लेनी चाहिए और उसके दो घंटे बाद तक दूध से बनी चीज न खाएं।
एंटीबायोटिक का पूरा एक कोर्स होता है। इसे अचानक नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप थोड़ा सा आराम महसूस होते ही दवा खाना बंद कर देते हैं तो बीमारी के बैक्टीरिया और ताकतवर हो जाते हैं। पुरानी एंटीबायोटिक दवाएं लगातार कम असरदार होती जा रही हैं क्योंकि जीवाणुओं ने उनके खिलाफ प्रतिक्षमता पैदा कर ली हैं। इसलिए पुरानी दवाएं लेने से परहेज करें।
कुदरती एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें। जैसे कि शहद। वायरस का हमला होने पर कुदरती चीजों का इस्तेमाल शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। जैसे कि सर्दी होने पर अदरक की चाय शरीर को मजबूत करती है। बच्चों के लिए मां का दूध एंटीबायोटिक का ही काम करता है और उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।