पंडित से नहीं करा सकते हैं पूजा तो पितरों के लिए खुद करें ये काम
पितरों के लिए बनाए गए भोजन को 5 हिस्सों में बांटे
पूर्वजों की फोटो पर कभी कुमकुम का प्रयोग न करें
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। नई दिल्ली। पितरों की आत्मा की शांति के पितृ पक्ष पर तर्पण का काम किया जाता है। इससे मृतक की आत्मा तृप्त होती है। इससे आप और आपके परिवार पर पूर्वजों का आशीर्वाद होता है। यूं तो श्राद्ध पक्ष में पंडितों से पूजा कराई जाती है। मगर सामर्थ्यवान न होने पर आप खुद से भी कुछ उपाय कर सकते हैं।
अगर आपको घर में श्राद्ध प्रक्रिया करनी है तो अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर पूजन करें। तर्पण का कार्य करने के लिए पहले खुद को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। अब सफेद वस्त्र धारण करके अनामिका अंगुली में कुशा की अंगूठी पहनें। इस दिन पितरों की फोटो रखने के स्थान को गाय के गोबर से लीपे। अगर आपका घर पक्का है तो आप उस स्थान पर गौ मूत्र भी छिड़क सकते हैं।
अब पूर्वज की तस्वीर पर सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पितृ पक्ष पूजन में लाल फूल व कुमकुम का प्रयोग न किया जाए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन करें। इसमें शुद्ध देशी घी, आम की लकड़िया एवं हवन सामग्री डालें। हवन की अग्नि में पितरों को दूधए दहीए घीए तिल एवं खीर अर्पण करें।
अब हाथ में कुश, तिल तथा जल लेकर दक्षिण की ओर मुंह कर लें और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए संकल्प लें।पूर्वजों के लिए बनाएं गए भोजन के पांच हिस्से निकालें। इसमें एक गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देवता का भाग होगा। तपर्ण के दिन एक या तीन व इससे अधिक ब्राम्हणों को भोजन कराएं। यदि ब्राम्हण घर न आएं तो आप किसी मंदिर में जाकर भी उनका हिस्सा दान कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की संतुष्टि के लिए पिंडदान बहुत जरूरी है। पिंडदान में पके चावल, आटा, घी एवं तिल को मिलाकर उसके पांच पिंड बनाने चाहिए। श्राद्ध क्रिया पुरूषों द्वारा ही किया जाना चाहिए। इसे पुत्र, पोता, नाती, भाई, भतीजा, चाचा के लड़के एवं खानदान की 7 पुश्ते कर सकती हैं।