पीएफ में कटौती से बढ़ जाएगी सैलरी! लेकिन पड़ने वाला है यह असर
यदि किसी ऐसे संगठन में काम करते हैं जहां कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है और कम से कम 15000 रुपये वेतन पाते हैं। ऐसी स्थिति में ईपीएफ योगदान 1800 रुपये प्रतिमाह होगा।
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन कर्मचारियों के पीएफ में अंशदान के संबंध में हाल ही एक प्रस्ताव किया है। श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से से पेश किए गए इस प्रस्ताव के अंतर्गत कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारियों के अंशदान में कमी की गई है।
इससे कर्मचारियों को अब पहले की तुलना में अधिक वेतन हासिल होगा। इसका उद्देश्य है कि कर्मचारियों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसे आएं। सरकार की इस पहल के कई अन्य पहलू भी हैं। हाथ में खर्च योग्य पैसे रहने पर आदमी निवेश करने के अधिक विकल्पों की तलाश कर सकता है।
मालूम हो कि वर्तमान में ईपीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से बेसिक सेलरी का 12-12 फीसदी का भुगतान किया जाता है। यदि आप किसी ऐसे संगठन में काम करते हैं जहां कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है और आप कम से कम 15000 रुपये बेसिक वेतन पाते हैं। ऐसी स्थिति में आपका ईपीएफ अंशदान 1800 रुपये प्रतिमाह होगा।
नियोक्ता की तरफ से भी इतनी ही राशि पीएफ खाते में जमा की जाएगी। ऐसे में हर महीने खाते में होने वाले योगदान की राशि 3600 रुपये होगी। अब केंद्र सरकार की तरफ से ईपीएफ में योगदान को घटाकर 6 फीसदी कर दिया जाता है तो कर्मचारी की तरफ से किया जाने वाला अंशदान घटकर 900 रुपये प्रतिमाह पर आ जाएगा।
इस 900 रुपये की अतिरिक्त राशि को प्रति माह म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। ऐसे में वहां से 12 फीसदी सालाना रिटर्न हासिल कर सकते हैं। इस तरह 30 साल के भीतर 31 लाख रुपये तक एकत्रित कर सकते हैं। अभी ईपीएफओ की तरफ से 8.65 फीसदी सालाना ब्याज दिया जाता है।
हालांकि हाथ में नकद पहले की तुलना में अधिक मिलने पर आपको बहुत सजग रहने की भी जरूरत है। हाथ में नकद पैसे बहुत जल्दी खर्च हो जाते हैं। ऐसे में बहुत सोचसमझ कर और अनुशासित रह कर खर्च करना होगा। इसका एक पक्ष यह भी है योगदान में कटौती से रिटाायरमेंट के समय मिलने वाले पैसे में कमी हो जाएगी।