स्मार्टफोन को लेकर ग्रामीण महिलाओं की झिझक मिटा रही इंटरनेट साथी
गूगल और टाटा के प्रोजेक्ट इंटरनेट सखी की इंटरनेट साथी का होगा जलवा
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। स्मार्टफोन और इंटरनेट को लेकर ग्रामीण महिलाओं की झिझक मिटाने तोड़ने और उन्हें जागरुक करने के लिए गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट ने अपने कार्यक्रम इंटरनेट साथी की शुरूवात की थी। इसके तहत ग्रामीण महिलाएं प्रशिक्षित होकर मोबाइल और टेबलेट से मेहंदी की डिजाइन से लेकर खाना बनाने तक की रेसिपी खोज रही हैं।
गांव की ही एक सामान्य महिला को इसमें इंटरनेट साथी के तौर पर चुना जाता है। फिर उसे प्रशिक्षित कर उक्त कार्यक्रम के लिए तैयार किया जाता है। और इस तरह पहली बार स्मार्टफोन हाथ में पकड़ने वाली महिला गांव की अन्य महिलाओं और दूसरे लोगों की मदद करती हैं। गौर हो कि गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट यूपी में हजारों महिलाओं को एक स्मार्ट फोन और टेबलेट देकर इंटरनेट साथी बना चुका है।
इंटरनेट साथी कार्यक्रम अब तक लाखों महिलाओं को जागरुक कर चुकी हैं। प्रोजेक्ट के तहत एक इंटरनेट साथी तीन से चार गांवों की 500 से 800 महिलाओं को जागरुक करती हैं। यूपी में तो इंटरनेट साथी प्रोजेक्ट का लक्ष्य 32 हजार गांवों की करीब 40 लाख महिलाओं को जागरुक करने का लक्ष्य है।
प्रोजेक्ट की जरुरत के बारे में बात हो तो याद रहे कि पहले तो ग्रामीण महिलाओं के लिए मोबाइल ही बड़ी बात है। स्मार्टफोन आया तो वो उससे लगातार दूर भागती रहीं। इस प्रोग्राम का लक्ष्य मोबाइल और इंटरनेट को लेकर उनकी झिझक तोड़ना है। उनके बीच की महिला जब इंटरनेट साथी के तौर पर मोबाइल और टेबलेट को चलाकर उसके फायदे गिनाती हैं तो वे आसानी से समझ जाती हैं।
मोबाइल और इंटरनेट के शुरूवाती ज्ञान अर्जन के बाद ग्रामीण महिलाएं कभी मेहंदी और खाने की रेसिपी देखती हैं। सिलाई के डिजाइन, अचार बनाने के तरीके से लेकर अन्य उपयोगी ज्ञान हासिल करने को तत्पर रहती है। कई बार तो इससे गांव वालों को तमाम सरकारी योजनाओं के प्रति जागरुक भी करती हैं। यह ज्ञान निश्चित तौर पर उनके जीवन में बदलाव ला रहा है। यहां बता दें कि गूगल इंडिया और ट्राटा ट्रस्ट ने जुलाई 2015 में इसे पायलट प्रोजेक्ट में और उसके बाद अप्रैल 2016 में देशभर के सैकड़ों जिलों में एक साथ लागू किया।
दक्षिण भारत में तो एक महिला ने इसके जरिए अपने पति को ओलेक्स पर एक पुरानी कार खरीदकर दी और उन्हें ओला में रजिस्टर्ड करवा दिया। ऐसे कई कहानियां सामने आ रही है। इंटरनेट साथी ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया बन रही हैं। वहीं प्रोजेक्ट का दायरा बढ़ाने के लिए गूगल और टाटा टस्ट्र कई पार्टनर एनजीओ के साथ मिलकर गांवों तक पहुंच रहे हैं।
इंटरनेट सखी को मोबाइल और टेबलेट तो दे दिया लेकिन उनकी कमाई का जरिया कैसे मिले। अब ऐसे तरीकों पर काम हो रहा है जिससे इन महिलाओं को गांव में रहकर कमाई का जरिया मिल जाए। इंटरनेट सखी प्रोजेक्ट के तहत पूरे देश में लाखों महिलाओं को इंटरनेट साथी बनाया जाना है। इसके लिए 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं और युवतियों को चुनकर उन्हें मोबाइल और इंटरनेट की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर उन्हें एक स्मार्टपफोन और एक टेबलेट जिसमें अनलिमिटेड इंटरनेट डाटा होता है, दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद इंटरनेट साथी आसपास के गांवों की महिलाओं को इंटरनेट के प्रति जागरुक करती हैं।
एक इंटरनेट साथी तीन से चार गांवों की 500-800 महिलाओं को जागरुक करती हैं। इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को जागरुक करने का लक्ष्य रखा गया है। असल में इंटरनेट साथी की कोशिश महिलाओं की झिझक तोड़ना है। इंटरनेट साथी की मदद से पहले वो मेहंदी और खाने की रेसिपी खोजती हैं। फिर शापिंग और अपने काम के दूसरे काम भी करती हैं। आने वाले दिनों में इंटरनेट साथी ज्ञान और जागरूकता के साथ रोजगार का भी जरिया बनकर महिलाओं की सहायता करेगा।