27 अक्टूबर को दीवाली
दीवाली का शुभ मुहूर्त और लक्ष्मी पूजन के सामान की लिस्ट
दीवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। दीवाली 27 अक्टूबर को है। इस दिन मां लक्ष्मी की षोडशोपचार यानी कि 16 तरीके से पूजा की जाती है।
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। दीवाली का त्योहार खुशहाली, समृद्धि, शांति का प्रतीक है। रोशनी के इस त्यौहार को लेकर मान्यता है कि
रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे। इस खुशी में प्रजा ने नगर में राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया। पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था। दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी। इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है।
पंचांग के अनुसार दीवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दीवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है। इस बार दीवाली 27 अक्टूबर को है।
इस बार दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है। दीवाली/लक्ष्मी पूजन की तिथिरू 27 अक्टूबर।
अमावस्या तिथि प्रारंभः 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से तथा अमावस्या तिथि समाप्तः 28 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक। लक्ष्मी पूजा मुहुर्तः 27 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक।
दीवाली पूजन की सामग्री की लिस्टः लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ।