गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

छलनी से देखा जाता है चांद और पति का चेहरा

छलनी से देखा जाता है चांद और पति का चेहरा



करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को छलनी में से देखकर पूरा करती हैं। इसी छलनी में शादी-शुदा महिलाएं दिया रख पहले चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं।
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। करवा चौथ के व्रत में छलनी का बेहद महत्व है। इस दिन पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती है। करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी में से देखकर पूरा करती हैं। शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकरव्रतपूरा करवाते हैं। लेकिन पति और चांद दोनों को छलनी से ही क्यों देखा जाता है? इसकी वजह क्या है?
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।


वहीं छलनी को लेकर एक और पौराणिक कथा कि एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थे। बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के समय जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया। लेकिन बहन ने कहा कि भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी। बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई। 
भाइयों दूर कहीं एक दिया रखा और बहन के पास छलनी ले जाकर उसे प्रकाश दिखाते हुए कहा कि बहन! चांद निकल आया है। अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो। इस प्रकार छल से उसका व्रत भंग हुआ और पति बहुत बीमार हुआ।
ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी में ही दिया रख चांद को देखने की प्रथा शुरू हुई।


 


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