गति फाउंडेशन ने जारी की 'दून पॉल्यूशन टेल्स अभियान' की रिपोर्ट
शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन पर ध्यान देने की सलाह
संवाददाता
देहरादून। गति फाउंडेशन ने शहर में प्रदूषण को लेकर चलाये गये एक अभियान के बाद अपनी रिपोर्ट जारी की है। 'दून पॉल्यूशन टेल्स अभियान' के दौरान मिले आउटपुट्स के बाद फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति में चिन्ता जताई है और सलाह दी कि वायु प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन पर खास ध्यान दिया जाए।
इस अभियान की थीम 'वायु प्रदूषण को हराओ' थी। अभियान के तहत उन लोगों के जीवन को समझने और उनका डॉक्यूमेंटेशन करने की भी कोशिश की गई, जिनका ज्यादातर समय शहर में प्रदूषित वायु के बीच में गुजरता है। इसमें ऑटो चालक, स्ट्रीट वेंडर, ट्रैफिक पुलिस अधिकारी, कैब ड्राइवर, स्ट्रीट स्वीपर और छात्रों को मुख्य रूप से शामिल किया गया। अभियान को सोशल मीडिया पर रुक्ववदच्वससनजपवदज्ंसमे के साथ साझा किया गया। इस दौरान देहरादून में वायु प्रदूषण पर मौजूदा साहित्य और अन्य स्रोतों की समीक्षा भी की गई।
रिपोर्ट कहती है कि दून में खराब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के साथ वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। इसके अलावा कचरे को खुले में जलाये जाने, खाली प्लॉट कचरा फेंकने आदि से भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। देहरादून ने दिल्ली से आने वाले पुराने वाहनों को भी वायु प्रदूषण के लिए गंभीर समस्या बताया गया है।
रिपोर्ट में अनियंत्रित रूप से बड़े पैमाने पर खुले में जलाये जा रहे कचरे को भी वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बताया गया है। अभियान के दौरान शहर के अंदर कई स्थानों पर खुले में कचरा जलता पाया गया। रिपोर्ट ने यह भी कहा गया है कि शहरवासियों द्वारा खुले में कूड़ा जलाना समस्या आम बात होती चली जा रही है।
गति फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव के अनुसार अभियान का उद्देश्य वायु प्रदूषण के मुद्दे पर लोगों को अधिक व्यावहारिक और मानवीय बनाना था। जो लोग सड़क पर अधिकतम समय बिता रहे हैं, वे असली पीड़ित हैं। इस अभियान के माध्यम से ऑटो चालकों, सब्जी विक्रेताओं, यातायात पुलिस अधिकारियों आदि के जीवन पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को समझने की कोशिश की गई।
पिछले वर्ष फाउंडेशन ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण टेस्ट किया था। इस दौरान आईएसबीटी, सहारनपुर चौक और दून अस्पताल सबसे प्रदूषित क्षेत्र थे। ऋषभ के अनुसार पीएम 2.5 की निगरानी जल्द से जल्द शुरू किये जाने की जरूरत है। वर्तमान में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास केवल तीन मैनुअल वायु प्रदूषण मॉनिटर, राजपुर रोड, आईएसबीटी और क्लॉक टॉवर पर हैं और जो केवल पीएम 10, सल्फर और नाइट्रोजन स्तर की निगरानी करने में सक्षम हैं।