जीओ के इन ग्राहकों को नहीं कराना आईयूसी रिचार्ज
एजेंसी
नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने 9 अक्टूबर को एलान किया कि वह अपने ग्राहकों से इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) चार्ज लेगा। ऐसे में जियो के ग्राहक यदि किसी दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर फोन करते हैं तो उन्हें प्रति मिनट 6 पैसे देने होंगे और इसके लिए उन्हें अलग से 10, 20, 50 या फिर 100 रुपये का रिचार्ज कराना होगा। जियो ने यह भी कहा कि जियो से जियो के नेटवर्क पर हमेशा की तरह कॉलिंग फ्री रहेगी। हालांकि बता दें जिन लोगों ने पहले से रिचार्ज करा लिया है और उनकी वैलिडिटी बची है तो उनको दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए पैसे नहीं देने होंगे।
उदाहरण के तौर पर प्लान की वैधता 26 दिसंबर तक है यानी 26 दिसंबर तक आपको आईयूसी चार्ज नहीं देना होगा। ऐसे में दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर 26 दिसंबर तक फ्री में बात कर सकेंगे। जिन लोगों के मौजूदा प्लान की वैधता बची है उनसे आईसीयू चार्ज नहीं लिया जाएगा वे अभी भी दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर भी फ्री में बात कर सकेंगे। आईसीयू टॉप-अप सिर्फ उन ग्राहकों को कराना जरूरी है जिनके जियो प्लान की वैलिडिटी खत्म हो गई है।
यदि जियो ग्राहक हैं और आईयूसी टॉप-अप कराने की सोच रहे हैं तो उससे पहले माय जियो एप में जाकर प्लान की वैलिडिटी चेक करें। यदि प्लान की वैलिडिटी है तो आईयूसी रिचार्ज कराने की जरूरत नहीं है। फ्री में बातें करते रहेंगे। वहीं जिन लोगों की वैलिडिटी 10 अक्टूबर तक खत्म हो गई है उन्हें आईयूसी टॉप अप कराना होगा।
आईयूसी यानी इंटर कनेक्शन यूजेज चार्ज वह राशि है जो दो टेलीकॉम कंपनियां अपने ग्राहकों की आपस में बातचीत कराने के लिए वसूलती हैं। अगर आपका कोई दोस्त एयरटेल का सिम यूज करता है और आप रिलायंस जियो का सिम यूज करते हैं तो जब भी आप अपने रिलायंस जियो वाले फोन से एयरटेल वाले नंबर पर फोन करेंगे तो जियो को आईयूसी चार्ज के रूप में एयरटेल को 6 पैसे प्रति मिनट की दर से एक राशि अदा करनी होगी।
रिलायंस ने अपनी लॉन्चिंग के बाद से अब तक आईयूसी के रूप में दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को 13,500 करोड़ रुपये दिए हैं। रिलायंस ने ये भी बताया है कि जियो नेटवर्क पर हर रोज 25 से 30 करोड़ मिस्ड कॉल आती हैं। इसके बाद रिलांयस जियो के नंबरों से हर रोज 65 से 70 करोड़ मिनट की कॉल दूसरे नेटवर्क पर की जाती हैं। ऐसे में जियो को इन कंपनियों को आईयूसी चार्ज के रूप में 6 पैसे प्रति मिनट देने पड़ रहे हैं।
जियो ने कहा है कि आईयूसी शुल्क पर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की बदलती नीतियों की वजह से वह ये फैसला लेने के लिए मजबूर हुई है। वो लगातार एक लंबे समय से आईयूसी के रूप में बड़ी राशि दूसरी कंपनियों को दे रही है। वे ये मानकर चल रही थी कि साल 2019 के बाद आईयूसी चार्ज ख़त्म कर दिया जाएगा।
ट्राई ने अब इस विषय पर सभी स्टेक होल्डर्स के विचार मांगे हैं। साल 2011 के बाद से आईयूसी चार्ज को खत्म करने को लेकर कवायद जारी है। साल 2017 में ट्राई ने प्रति मिनट आईयूसी चार्ज को 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे किए थे। ट्राई ने ये भी कहा था कि एक जनवरी 2020 से इस शुल्क को पूरी तरह ख़त्म कर दिया जाएगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि जब जियो ने साल 2016 में अपनी लॉन्चिंग के दौरान कहा था कि वह वॉइस कॉलिंग के लिए कभी भी अपने ग्राहकों से पैसे नहीं लेगा। तो उसने ऐसा फैसला क्यों लिया।
पहली नजर में देखें तो ऐसा लगता है कि रिलायंस को इससे किसी तरह का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि जियो अपने यूजर्स से जो पैसा लेगा, वह पैसा वो एयरटेल या दूसरे टेलिकॉम ऑपरेटर्स को देगा। इसके साथ ही वह आईयूसी वाउचर पर हुए खर्च के बदले में फ्री डेटा भी देगा। लेकिन इससे उस कंपनी को फायदा होता है जिसका यूजर बेस ज्यादा होता है।