करवाचौथ व्रत का मुहूर्त और पूजा की विधि
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। इस साल करवाचौथ 17 अक्टूबर गुरुवार को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। माना जाता है कि इस दिन अगर सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखी रहता है।
ये व्रत सूर्याेदय से पहले शुरू होता है जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है। इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को लेकर बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।
इस व्रत में शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
करवाचौथ व्रत की पूजा विधिः सुबह सूर्याेदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
करवाचौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं। पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।
एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं। पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं।
पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुनें या सुनाएं। चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।
इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, पफल, मेवे, रूपये आदि देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं।
करवा चौथ पूजा मुहूर्तः 17ः50:03 से 18ः58ः47 तक
अवधिः 1 घंटे 8 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय 20ः15ः59