लकड़ियों के गोदाम से बना काठगोदाम
दीपक नौगांई अकेला
रानी बाग/नैनीताल। कुमाऊं के अंतिम रेलवे स्टेशन काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ है काठ लकड़ियों का गोदाम। चंद शासनकाल में काठगोदाम गांव को बाड़ा खेड़ी के नाम से जाना जाता था। उन दिनों गुलाब घाटी से आगे जाने का रास्ता नहीं था। यह जगह सामरिक रूप से महत्वपूर्ण थी। कल्याण चंद के शासन में 1743-44 में यहीं पर रोहिल्लों के आक्रमण को विफल किया गया।
ब्रिटिश शासकों द्वारा कुमाऊं में कब्जा करने के बाद काठगोदाम का व्यापारिक महत्व बढ़ गया। तब परिवहन के साधन ना होने के कारण लकड़ी ठेकेदार लट्ठों को बोला नदी में बहा कर लाते और यह गोदामों में रख देते। इससे ही यहां का नाम काठगोदाम पड़ा।
1901 में यह क्षेत्र 375 की जनसंख्या वाला छोटा सा गांव था। तब इसे रानी बाग से जोड़कर नोटिफाइड एरिया घोषित किया गया। 1942 में इसे हल्द्वानी नोटिफाइड एरिया के साथ जोड़कर नगर पालिका परिषद हल्द्वानी-काठगोदाम का गठन किया गया।
1884 में यहां पहली ट्रेन लखनऊ से आई थी। शुरुआत में मालगाड़ियां ही चला करती थी। 1920 में काठगोदाम से आगरा के लिए ट्रेन चली। 4 मई 1994 से यहां बड़ी रेल लाइन पर ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ।