गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

प्रचंड बहुमत की सरकारों ने आखिर जनता को दिया क्या: मोर्चा     

प्रचंड बहुमत की सरकारों ने आखिर जनता को दिया क्या: मोर्चा         


पहले/ अब भी सोने के भाव रेता- बजरी खरीदने को मजबूर है जनता | 

अकेला उत्तराखंड कई प्रदेशों को कर सकता है रेत- बजरी की आपूर्ति |  

अन्य प्रदेशों से क्यों लाए जाता है उत्तराखंड में खनिज !  

20 -25 हजार में बिक रहा एक ट्रक रेता- बजरी | 

संवाददाता

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में उप खनिज (रेत- बजरी-पत्थर) भरपूर मात्रा में होने के बावजूद अन्य प्रदेशों से आयात किया जा रहा है तथा मनमानी के तहत रेता- बजरी ₹25000 में जनता खरीदने को मजबूर है | नेगी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार केंद्र व राज्य दोनों जगह कांग्रेस की रही हो तब भी सोने के भाव खरीदा जाता था तथा अब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी सोने के भाव खरीदा जा रहा है | रेत -बजरी का भाव महंगा होने का कारण दिल्ली में बैठे आकाओं को सूटकेस कि व्यवस्था ने जनता का दिवाला निकाल दिया है यानी सरकार अब रेत- बजरी से चलती है |

नेगी ने कहा कि महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ईआईए नोटिफिकेशन 2006 की आड़, माफियाओं के हाथों सरकार का बिकना व नदियों से चुगान न होकर निजी  नाप भूमि के पट्टों के खेल ने माफियाओं/ नेताओं/ अधिकारियों को रातों-रात करोड़पति बनाने का काम किया है | आलम यह है कि हिमाचल/ हरियाणा/ उत्तर प्रदेश में रेत- बजरी का कोई मोल नहीं है यानी बहुत कम दामों में उपलब्ध हो जाता है, लेकिन उत्तराखंड की सौभाग्यशाली जनता 20 -25 हजार रु में वही  माल खरीदती है | मोर्चा जनता से अपील करता है कि अपने अधिकारों के लिए जागे वरना नाम का  जाप करते रहें | 

पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मो. असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज आदि थे |

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