अफवाहों की ऐसे करें पहचान!
न्यूज डेस्क
देहरादून। हर बार शासन प्रशासन और गणमान्य लोग अक्सर सोशल मीडिया पर अपील करते नजर आते है कि अफवाहों पर विश्वास ना करे। लेकिन सवाल तो यह भी है कि सच और अफवाहों में फर्क कैसे किया जाये?
अफवाह वाले मैसेज में अक्सर तारीख नही लिखी होती। मसलन आपको मैसेज मिलेगा कि किसी बन्दे का 10वीं का रिजल्ट खो गया है लेकिन ऐसे मैसेज में तारीख नही दिखता कि कब गायब हुआ। अधिकांश मामलों में 2010 के गुम हुए रिजल्ट को 2019 का बता करके वायरल किया जाता है।
अफवाह वाले सूचनाओं में नहीं लिखा होता है कि ये सूचना किसके द्वारा प्रेषित किया गया है। अफवाहों में उसके स्रौत का नाम नही लिखा होता है। आये दिन महीनों पुराने एक्सीडेंट के मामलों को आजकल का बता कर वायरल किया जाता है लेकिन ऐसे किसी भी अफवाह में डेट और प्रेषित करने वाले का नाम नहीं होता और ऐसे खबरों को संपादित किया होता है।
वायरल खबर को गूगल पर सर्च किया जा सकता है। यदि किसी मीडिया घराने के वेबसाइट पर उस खबर से जुड़ा कोई तथ्य नहीं है तो वो खबर फेक है। अक्सर लोग पूरा मैसेज को बिना पढ़े ही फारवर्ड कर देते है। यह गलत आदत है। याद रखें कि खबर या संदेश को बिना पढ़े या समझे कभी भी न साझा करें और न ही पोस्ट करें।