ईद मिलाद-उन-नबी पर्व का महत्व
प0नि0डेस्क
देहरादून। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। इनका जन्म इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मक्का में हुआ था। मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर थे। इस बार मिलाद-उन-नबी 9 नवंबर की शाम से शुरू हो रहा है जो 10 नवंबर की शाम तक चलेगा।
मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्र अब्दुल्लाह इब्र अब्दुल मुत्तलिब था। इनके वालिद (पिता) का नाम अब्दुल्लाह और वालदा (माता) का नाम बीबी अमीना था। इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि 610 ईस्वी में मक्का के नजदीक हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मोहम्मद साहब अपने इसी ज्ञान को इस्लाम धर्म के ग्रंथ कुरान में जिक्र किया। साथ ही इसका उपदेश भी दिया।
इस्लाम धर्म के जानकारों के मुताबिक ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर मोहम्मद साहब के सांकेतिक पैरों के चिह्न पर इबादत की जाती है। इस्लाम के अनुयायी इस पर्व को मनाने के लिए रातभर जागते हैं और दुआएं मांगते हैं। इसके साथ पैगंबर मोहम्मद साहब के उपदेश को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए इस्लाम के अनुयायी दरगाह और मक्का-मदीना जाकर इबादत करते हैं। इस दिन को शिया और सुन्नी समुदाय अलग-अलग ढंग से मनाते हैं।