कॉमन सर्विस सेंटर पर मिलेगी ऑनलाइन कानूनी सहायता
30 रुपए का शुल्क चुकाकर वकीलों से कानूनी सहायता
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार अगले वित्तीय वर्ष में देश के ग्रामीण इलाकों में टेली-लॉ (ऑनलाइन कानूनी सहायता) की सुविधा शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पंचायत स्तर पर संचालित कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) का इस्तेमाल किया जाएगा।
सीएससी ई-गवर्नेंस इंडिया के सीईओ दिनेश त्यागी के अनुसार जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में ऑनलाइन कानूनी सहायता की मांग बढ़ी है। इसे देखते हुए यहां के 117 जिलों के 30 हजार कॉमन सर्विस सेंटर में यह सुविधा शुरू की गई है। समीक्षा के बाद अगले वित्तीय वर्ष में देश के बाकी हिस्सों में भी इसे (मुफ्त कानूनी सलाह) शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके जरिए हजारों रोजगार भी पैदा हो रहे हैं। क्योंकि हर सीएससी सेंटर पर एक वॉलेंटियर तैनात किया गया है, जो कानूनी सहायता दिलाने में लोगों की मदद करता है।
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेस की मदद से 2017 में इसकी शुरुआत की। यह सेवा पंचायत स्तर पर संचालित हो रहे कॉमन सर्विस सेंटर(सीएससी) के माध्यम से शुरू की गई है।
इस साल अगस्त तक सात पूर्वाेत्तर राज्यों ने 39,000 से अधिक मामलों को टेली-लॉ पोर्टल के जरिए पंजीकृत किया था। इसमें 37,588 मामलों में सलाह दी गई थी। असम ने टेली लॉ सेवा का सबसे अधिक इस्तेमाल किया। इसके बाद मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हैं। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में इस साल अगस्त तक 30,169 मामलों में टेली-लॉ सेवा पोर्टल के जरिए रजिस्ट्रेशन हुआ और 20,949 मामलों में लोगों को कानूनी सहायता मिली।
विधि एवं न्याय मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मिलकर इस योजना को चला रहे हैं। इसके लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत देश भर में पंचायत स्तर पर संचालित हो रहे सीएसी का इस्तेमाल हो रहा है।
हितग्राही अपना एक पहचान पत्र लेकर कॉमन सर्विस सेंटर पहुंचता है। जहां सीएससी संचालक अपने पोर्टल के जरिए उसका रजिस्ट्रेशन करता है। इसके बाद दिल्ली में बैठे वकीलों के पैनल से समय तय करके वीडियो या फोन पर बात की जाती है। जरूरत पड़ने पर हितग्राही अपने दस्तावेज ऑनलाइन चेक भी करवा सकता है।
इसमें प्राथमिक तौर पर घरेलू हिंसा, दहेज, जमीन-जायदाद, जमानत मिलने की प्रक्रिया जैसे मामलों में कानूनी सहायता मिलती है। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग, दिव्यांग, मानसिक रूप से बीमार, मजदूर, निम्न आय वर्ग के लोग जो हिरासत में हैं, वह मुफ्त में कानूनी सलाह ले सकते हैं। अन्य व्यक्ति 30 रुपए का शुल्क चुकाकर कानूनी सलाह हासिल कर सकते हैं।