बहुत से लोग इंटरनेट की लत छुड़ाने के वास्ते नये नये तरीके तलाश रहे है
आजकल चल रहा है इंटरनेंट उपवास का नया ट्रेंड
प0नि0डेस्क
देहरादून। आज के दौर में कई लोग इंटरनेट की लत छुड़ाने के तरीके तलाश रहे हैं। इसे इंटरनेट मुक्त उपवास का नाम दिया जा रहा है। बेंगलुरु में तो इसे बकायदा डोपामाइन पफास्टिंग का नाम दिया गया है, यानी वह उपवास जो कोई लत छुड़वाने के लिए रखा जाता है।
इस अडिक्शन के चलते मानसिक परेशानियों के अलावा लोगों को आंखों की समस्या, हाथ और बाजुओं में दर्द, हर समय थकावट जैसी दिक्कतें भी हो जाती हैं। यह लत कई बीमारियों को पैदा करने में मददगार होती है।
इस उपवास में आपको फोन, लैपटाप जैसी चीजों से दूरी बनाकर असली दुनिया का अनुभव लेना होता है। एक मरीज के तौर पर इसका अनुभव है कि सोशल मीडिया से दूरी मन, शरीर और यहां तक कि आत्मा को भी तरोताजा कर देता है।
डोपामाइन नाम का यह उपवास उन गतिविधियों की लत को दूर करता है जिन्हें करके सुखद अहसास होता है। डोपामाइन एक तरह का न्यूरोकैमिकल हार्माेन होता है जो कि सुखद अनुभव होने पर दिमाग से रिलीज होता है और हमको इनाम मिलने जैसा अनुभव देता है। लेकिन धीरे-धीरे इस अहसास की चाह बढ़ती जाती है और आदमी उस काम में लगा रहता है। इसलिए डोपामाइन नाम का यह उपवास हमारे दिमाग को रीसेट करता है, लत से हमें दूर करता है और रोजमर्रा की जिंदगी में असली खुशी का अहसास कराता है।
हमारे देश में योग जैसे आध्यात्मिक ट्रेडिशंस है जिसमें बताया जाता है कि इच्छा शक्ति पर कंट्रोल करना एक तरह से मानसिक और आध्यात्मिक क्रांति है। धरणा है कि लड़कियों में आनलाइन शापिंग की, जबकि लड़कों में गेमिंग की लत सबसे ज्यादा होती है, जिसे छुड़वाने के लिए वह उपवास रख रहे हैं।
लत छुड़ाने के लिए उपवास के नाम पर एक दिन फोन से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। इसके तहत स्क्रीन प्रफी संडे की शुरुआत, इंटरनेट फास्टिंग का इस्तेमाल, छुट्टी वाले दिन फोन का इस्तेमाल नहीं करना जैसी बातें शामिल है।
हालांकि इस तरह का उपवास पहले तो परेशान कर सकता है, लेकिन धीरे-धीरे इसके पाजिटिव रिजल्ट भी सामने आते हैं। इस उपवास से न सिर्फ उनकी आदत में बदलाव आता है बल्कि शरीर का वजन भी कम होता है। यह कोई रेग्युलर फास्टिंग नहीं होती जिसे आप रोजाना कर रहे हो। यह समय लेता है और आपको थोड़ा संयम बरतनी होगी तभी इसका असर भी होता है।
यह फैक्ट है कि खुशी हमारी जिंदगी का अहम और जरूरी हिस्सा है। ऐसे में यह उपवास उस व्यक्ति को नहीं करना चाहिए जो बहुत दुखी है या पहले किसी तरह की मानसिक समस्या से जूझ चुका है। यह उपवास अपने मानसिक कंपफर्ट को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। समस्या है तो यकीन मानिये समाधन भी होता है।