भजनः प्रभु अन्तर्यामी
- चेतन सिंह खड़का
ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी
मैं तेरे चरणों की धूल
जब तक दुख विपदा न आये
मैं जाता हूं तुझको भूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।
मेरी इस गलती को तुमने
अक्सर यों ही माफ किया
जब भी राह में बाधा आयी
तुमने उसको साफ किया
सबके दिल में तुम ही बसे हो
तुम ही हो जीवन का मूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।
किस विधि करनी तेरी पूजा
मुझको इसका ज्ञान नही
नाम तेरा लेने के अलावा
और मुझे कुछ ध्यान नही
तुम भी तो कितने भोले हो
मांगा बस श्रद्वा के फूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।
तुम बिन लगता है ये जीवन
जीने का कोई काम नही
मानवता के प्रेम भाव का
इस जग में कोई नाम नही
तुम सृष्टि के रखवाले हो
मिटा दिया करतो हो शूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।