सर्दियों में मुंह से निकलती है भाप!
सर्दियों में मुंह से भाप निकलने लगती है लेकिन जब हम घर के अंदर होते हैं तो भाप निकलती नहीं दिखती।
प0नि0डेस्क
देहरादून। सर्दियों के मौसम में मुंह से भाप निकलने लगती है। हमारे शरीर में हमेशा भाप बनती रहती है? यदि ऐसा है तो गर्मियों में भाप निकलती क्यों नहीं दिखाई देती? ऐसे कई सारे सवाल उभरकर सामने आते होंगे। आखिर सर्दी आते ही मुंह से भाप निकलती दिखाई देती है। इस भाप के पीछे की एक सामान्य सा कारण है।
जब हम सांस लेते हैं तो शरीर में आक्सीजन जाती है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाई आक्साइड निकलती है। लेकिन पूरा सच यह है कि सांस छोड़ते समय फेफड़ों से कार्बन डाई आक्साइड के साथ साथ नाइट्रोजन, कम मात्रा में आक्सीजन, आर्गन और नमी भी शामिल रहती है। क्योंकि मुंह और फेफड़े नम रहते है इसलिए हर सांस के साथ थोड़ी मात्रा में नमी भाप के रूप में शरीर से बाहर निकलती है। जब शरीर में नमी की मात्रा बढ़ती है तो ये पसीने और मूत्र में निकल जाती है।
जैसा कि हम जानते है कि पानी तीनों अवस्थाओं में होता है। ठोस, द्रव और गैस। ठोस होने पर पानी बर्फ, द्रव होने पर जल और गैसीय अवस्था में होने पर भाप कहलाता है। बर्फ में एच2ओ के अणु मजबूती के साथ एक दूसरे से जुड़े होते हैं। द्रव अवस्था में कम मजबूती और गैसीय अवस्था में और भी कम मजबूती के साथ ये आपस में जुड़े होते हैं। गैसीय अवस्था में एच2ओ के अणुओं में ऊर्जा ज्यादा होती है जिससे ये गतिक अवस्था में होते हैं। मानव शरीर का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। ऐसे में जब बाहर का तापमान कम होता है और हम सांस बाहर छोड़ते हैं तो शरीर से निकलने वाली नमी के अणु अपनी ऊर्जा तेजी से खोने लगते हैं और पास-पास आ जाते हैं। इससे भाप द्रव या ठोस अवस्था में बदलने लगती है। ये भाप छोटी-छोटी पानी की बूंदों में होती है। अगर तापमान शून्य से ज्यादा नीचे हो तो मुंह से निकलने वाली भाप बपर्फ में बदलने लगती है।
विज्ञान के मुताबिक गैस में अणु दूर दूर, द्रव में थोड़े पास और ठोस में एकदम चिपके रहते हैं। भाप द्रव और गैस के बीच की अवस्था है। जब बाहर के तापमान में गर्मी होती है तब नमी शरीर से बाहर निकलती है तो गैसीय अवस्था में ही रहती है क्योंकि इसके अणुओं की गतिक ऊर्जा कम नहीं होती है और वे दूर दूर ही रहते हैं। इस वजह से ये भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदल पाते लेकिन जब बाहर का तापमान कम होता है तब निकलने वाले नमी और गैस अपनी गतिक ऊर्जा तेजी से खोते हैं और उसके अणु पास पास आने लगते हैं। ये अणु पास-पास आकर भाप बन जाते हैं। मुंह से भाप निकलना पूरी तरह बाहर के तापमान पर निर्भर करता है। इसलिए बंद घर के अंदर अक्सर मुंह से उतनी भाप नहीं निकलती क्योंकि अंदर का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है।