'निशंक' ने उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता अधिदेश के 5 कार्यक्षेत्रों को शामिल करने वाले 5 दस्तावेज लॉन्च किए
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए छात्र मूल्यांकन की अहम भूमिकाः निशंक
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गुणवत्ता अधिदेश के 5 कार्यक्षेत्रों को शामिल करके विकसित 5 दस्तावेज लॉन्च किए। ये 5 दस्तावेज मूल्यांकन सुधार, पर्यावरण के अनुकूल तथा टिकाऊ विश्वविद्यालय परिसर, मानवीय मूल्य और पेशेवर नैतिकता, फैकल्टी दक्षता और शैक्षिक अनुसंधान समग्रता को कवर करते हैं।
इस अवसर पर निशंक ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा गुणवत्ता कार्यक्रम अधिदेश को अपनाया है। इस गुणवत्ता अधिदेश का उद्देश्य देश की अगली पीढ़ी को एक अच्छे जीवन के लिए महत्वपूर्ण कौशल, ज्ञान और नैतिकता से लैस करने में उच्च शिक्षा प्रणाली को शामिल करना है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में छात्र मूल्यांकन की अहम भूमिका है। छात्रों के मूल्यांकन को अधिक सार्थक प्रभावी और शिक्षा परिणामों से जोड़ने के लिए भारत में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मूल्यांकन सुधार बहुत सामयिक और लाभदायक है।
उच्च शिक्षा संस्थानों में पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ परिसर विकास के लिए एसएटीएटी- ढांचे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि परिसरों में पर्यावरणीय गुणवत्ता बढ़ाने और भविष्य में सतत हरित और सतत तरीकों को अपनाने तथा विचारात्मक नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए यह ढांचा विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित करता है।
शैक्षिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और नैतिकता को बढ़ावा देने वाली प्रक्रियाओं के बारे में विचार-विमर्श करने और उन्हें कारगर बनाने की जरूरत को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि यूजीसी ने उच्च शैक्षिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और पेशेवर नैतिकता के समावेश के लिए नीति फ्रेमवर्क दृ 'मूल्य प्रवाह- दिशा-निर्देशों' को विकसित किया है।
इसके अलावा उन्होंने उम्मीद जताई कि गुरु-दक्षता के लिए दिशा-निर्देश - फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम (एफआईपी) फैकल्टी को छात्र केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने, उच्च शिक्षा में पढ़ाने-पढ़ने, मूल्यांकन विधियों के लिए आईसीआईसीए एकीकृत शिक्षण और नए शैक्षिक दृष्टिकोणों के लिए शिक्षकों को संवेदी बनाना और प्रेरित करने के मुख्य उद्देश्य को पूरा करेंगे।
इस अवसर पर उन्होंने संकाय सदस्यों द्वारा उच्च गुणवत्तायुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने और नए ज्ञान का सृजन करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी विषयों में गुणवत्तायुक्त पत्रिकाओं पर लगातार निगरानी करने और उनकी पहचान के लिए शैक्षिक और अनुसंधान नैतिकता (यूजीसी-केअर) के लिए कंसोर्टियम की स्थापना करने के लिए यूजीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह उम्मीद जाहिर की कि केअर वेबसाइट और गुणवत्ता वाली पत्रिकाओं की संदर्भ सूची अधिक जागरूकता पैदा करने तथा अकादमिक अखंडता और नैतिकता प्रकाशन के बारे में भी उपयोगी होगी।