भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द पकड़ेगी रफ्तार: आईएमएफ
आईएमएफ चीफ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द रफ्तार पकड़ेगी और इसमें दिख रही सुस्ती अस्थायी है। उन्होंने यह भी कहा है कि जनवरी 2020 में वैश्विक अर्थव्यस्था की रफ्तार बेहतर है।
एजेंसी
दावोस। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारी सुस्ती से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहतभरी खबर दी है। आईएमएफ चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती अस्थायी है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसकी रफ्तार में सुधार होगा। दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम 2020 में उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 में आईएमएफ द्वारा घोषित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में जनवरी 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है। दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5ः रही है, जो साढ़े छह साल का निचला स्तर है।
आईएमएफ चीफ ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी का कारण अमेरिका-चीन के बीच पहले चरण का व्यापार समझौता होने के बाद ट्रेड टेंशन में आई कमी तथा नीतिगत करों में लगातार कटौती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 3.3ः का ग्रोथ रेट बहुत बढ़िया नहीं है।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि अभी भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त है। हम चाहते हैं कि राजकोषीय नीतियां ज्यादा से ज्यादा आक्रामक हों और संरचनात्मक सुधारों में तेजी लाई जाए। उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर उन्होंने कहा कि वे आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारतीय बाजार में सुस्ती देख रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह अस्थायी है। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुधार होगा। इंडोनेशिया तथा वियतनाम जैसी अर्थव्यवस्थाएं भी चमकते सितारे की तरह हैं। आईएमएफ चीफ ने यह भी कहा कि कुछ अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अच्छा कर रही हैं, जबकि मेक्सिको जैसे देश की इकॉनमी में कोई सुधार नहीं है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ रेट अनुमान में कटौती की है। आईएमएफ, यूनाइटेड नेशन, फिच सहित कई एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 5ः के आसपास रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 4.5ः रही है, जो पिछले साढ़े छह साल का निचला स्तर है। वहीं पहली तिमाही में विकास दर महज 5 फीसदी रही थी।