सोमवार, 13 जनवरी 2020

हुकम सिंह कुंवर ने संस्था को दिखाया आइना

हुकम सिंह कुंवर ने संस्था को दिखाया आइना



पर्वतीय उत्थान मंच का गठन नाच गाने व कुछ लोगो को सम्मानित करने के लिए नहींः कुंवर
संवाददाता
हल्द्वानी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच हीरानगर हल्द्वानी की भूमि के लिए आंदोलन में जेल गए हुकम सिंह कुंवर ने मंच कार्यालय में पहुंचकर कार्यकारिणी के सामने आपत्ति दर्ज़ करते हुए कहा कि केवल नाच-गाने व कुछ लोगों को सम्मानित करने के लिए पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का गठन नहीं हुआ था। 
कुंवर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आज केवल नाच-गाना व कुछ लोगो को सम्मानित करने का काम उत्थान मंच कर रहा है। उनका मानना है कि इसके लिए पर्वतीय समाज से जुड़े हुए संघर्षील लोगों को भी आगे बढ़ाना होगा। कुंवर ने पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के गठन के बारे में बताते हुए कहा कि वर्ष 1982 में वह छात्र संघ डिग्री कॉलेज हल्द्वानी के छात्रसंघ उपाध्यक्ष थे। जिला सहकारी बैंक के बगल में खाली पड़ी भूमि को खिम सिंह बिष्ट ने मंच को दान कर दिया, वहां पर गोल्ज्यू के मन्दिर की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू किया गया। 
इसी बीच तहसील हल्द्वानी के कर्मचारियों ने उक्त भूमि को अपना बताकर विवाद खड़ा कर दिया। चार दिन बाद तत्कालीन उपजिलाधिकारी गजेन्द्र पाल सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल मौके पर आया और वहां मौजूद कई लोग तो भाग गए लेकिन हुकम सिंह कुंवर, थान सिंह, प्रदीप शाह, दलीप सिंह, घनश्याम सिंह बिष्ट, स्वतंत्रता सेनानी नंदन सिंह बिष्ट वहां संघर्ष करते रहे। उनको गिरफ्तार कर हल्द्वानी जेल भेज दिया।
छात्र संघ उपाध्यक्ष हुकम सिंह कुंवर की गिरफ्तारी से छात्रों में उबाल आ गया। रामनगर, हल्द्वानी समेत कई जगह छात्रों ने आंदोलन प्रारम्भ कर दिया। इस आंदोलन में 122 लोग गिरफ्तार हुए जिनमें अधिकांश तत्कालीन छात्र नेता छात्र व समाज सेवी थे। प्रमुख रूप से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हरेंद्र बोरा, थान सिंह, सशांक शर्मा, प्रकाश बोरा, विजय बिष्ट, गिरीश चन्द्र जोशी, राजेन्द्र चुफाल, दीवान सिंह मटियाली सहित 122 लोग गिरफ्तार हुए थे। बाद में एक समझौते के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण तिवारी ने हीरा नगर में भूमि उपलब्ध करा दी। 
उन्होंने कहा कि तब से आज तक पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के संस्थापक अध्यक्ष बलवंत सिंह चुफाल के नेतृत्व में उत्तरायनी मनाई जा रही है। 14  जनवरी को शोभा यात्रा भी निकलती रही है। प्रारम्भ में भवन मैदान व शोभा यात्रा के लिए लोगों से घर घर दुकान दुकान जाकर सहयोग मांगते थे। अब मंच अपने स्रोतों से मिला कर करता है। हुकम सिंह कुंवर बताते हैं कि उन्होंने जब बीए पार्ट वन में पढ़ते थे, तब गिरफ्तारी दी थी। 6 दिन जेल में बन्द रहा था। हमने मंच को आगे बढ़ाने में पूरा जीवन लगाया। बलवंत सिंह चुफांल ने भी तन-मन-धन से सेवा की। 
कुंवर ने कहा कि अब कुछ लोग मंच के पीछे पड़े हुए है पर उनकी मंशा सफल नहीं होगी। इसको बनाने में कई लोगों की भावना, संघर्ष व पैसा लगा है। पूरे पर्वतीय जनता की भावना इसके साथ जुड़ी है। हमारी संस्कृति को बचाने का यह एक केंद्र है, इसको बढ़ाने में सब सहयोग करते है।


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