सोमवार, 27 जनवरी 2020

समय से पहले बाल सफेद होने का राज!

समय से पहले बाल सफेद होने का राज!



यह तो पता है कि तनाव के कारण उम्र से पहले ही बाल सफेद हो जाते हैं लेकिन अब इसका वैज्ञानिक आधार खोज लिया गया है और यह भी पता लगा लिया है कि यह काम शरीर में किस तरह होता है।
एजेंसी
लंदन। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि तनाव के कारण बालों के रंग के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को नुकसान होता है और उनका रंग बदल जाता है। बाल सफेद होने के जैविक तंत्र का रहस्य लंबे समय से एक रहस्य रहा है।
समय पूर्व बालों का सफेद होना चिंता की बात है। सफेद बालों को छिपाने के लिए कई लोग बालों पर रंग या मेहंदी लगाते हैं लेकिन बाल समय से पहले सफेद होने का क्या कारण है, इसका पता एक ताजा शोध से चला है। कारण जानने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों के साथ प्रयोग किया और यह जानने की कोशिश की कि बालों के फॉलिकल किस तरह से कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं जो मेलेनिन बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। त्वचा और बालों का रंग मेलेनिन से ही तय होता है।
आमतौर पर लोगों के सिर पर करीब एक लाख हेयर फॉलिकल्स होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव की स्थिति में चूहे में एड्रिनेलिन और कॉर्टिसोल हार्माेन पैदा हुए, इस दौरान चूहों के दिल की धड़कन तेज हुई और ब्लड प्रेशर भी बढ़ा। इससे सीधे तौर पर तंत्रिका तंत्र प्रभावित हुआ. वैज्ञानिकों ने जब चूहों को थोड़े समय के लिए दर्द दिए या फिर तनावपूर्ण प्रयोगशाला की स्थिति में डाला तो नॉर-एपिनेफ्रीन नाम का रसायन रिलीज हुआ, जिसके बाद यह स्टेम सेल द्वारा उठा लिया गया जो हेयर फॉलिकल्स के लिए मेलेनिन के कुंड के रूप में काम करता है।
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोड्यूसर या-शी सू के मुताबिक सामान्य तौर पर जब बाल फिर से उगते हैं, कुछ स्टेम सेल पिगमेंट पैदा करने वाले सेल में तब्दील हो जाते हैं जो बालों को रंगने का काम करते हैं, लेकिन जब वे नॉर-एपिनेफ्रीन के संपर्क में आते हैं तो सभी स्टेम सेल सक्रिय हो जाते हैं और पिगमेंट पैदा करने वाले सेल बन जाते हैं। साइंस जर्नल नेचर में छपे शोध की वरिष्ठ लेखक सू कहती हैं कि इसका मतलब है कि एक भी स्टेम सेल नहीं बचा, कुछ ही दिनों में स्टेम सेल का भंडार खत्म हो गया और एक बार वह खत्म हो गया तो आप दोबारा पिगमेंट को पुनर्जीवित नहीं कर सकते।
तनाव सिर्फ बालों को ही नहीं बल्कि शरीर में अन्य कई नुकसान भी पहुंचाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने अपने प्रयोग में पाया कि जितने खराब असर की उम्मीद थी ये नतीजे उससे भी ज्यादा बुरे थे। प्रयोग के दौरान कुछ समय के बाद बालों का रंग तय करने वाली कोशिकाएं स्थायी तौर हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थीं। सिर्फ तनाव ही नहीं है जिसके कारण बाल सफेद होते हैं बल्कि उम्र बढ़ने के साथ भी बाल सफेद होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय से कहा जाता रहा है कि तनाव के कारण बाल सफेद होते हैं लेकिन इस धारणा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था।


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