रविवार, 2 फ़रवरी 2020

खनन माफियाओं की गोद में फिर जा बैठी त्रिवेंद्र सरकारः मोर्चा           

खनन माफियाओं की गोद में फिर जा बैठी त्रिवेंद्र सरकारः मोर्चा    


      
- खनन पट्टों की गहराई 3 मीटर करने का है मामला
- अवैध भंडारण मामले में भी दी गई भारी सहूलियत 
- स्वीकृत खनन पट्टों में उप खनिज है ही नही, दोहन होगा प्रतिबंधित नदियों से 
- गहराई ज्यादा होने से खेत-खलिहानों और आवासीय मकानों को होगा खतरा 
- फरमान सरकारी राजस्व बढ़ाने को कम, व्यक्तिगत राजस्व बढ़ाने के लिए ज्यादा 
- खनन माफियाओं के लिए रातों-रात विधेयक, जनता की कोई  सुध लेने वाला नही 
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि अभी हाल ही में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा खनन नीति में बदलाव कर खनन माफियाओं के लिए रातों-रात विधेयक लाकर खनन पट्टों की गहराई बढ़ाने का काम किया है, जोकि सरकारी राजस्व बढ़ाने की आड़ में व्यक्तिगत राजस्व (काली कमाई) बढ़ाने के लिए किया गया है। इसके साथ-साथ अवैध भंडारण मामले में जिलाधिकारियों से अधिकार छीनकर अपर जिलाधिकारियों को दिए गए हैं, क्योंकि जिलाधिकारी अक्सर दबाव में नहीं आते थे, इसलिए यह खेल खेला गया है।
उनका आरोप है कि प्रदेश सरकार द्वारा खनन माफियाओं के हक में नित नए-नए फैसले लिए जा रहे हैं। नेगी ने कहा कि उत्तराखंड उप खनिज ( बालू -बजरी-बोल्डर) चुगान नीति 2016 की धारा 3 (च) में खनिज की 1.5 मी0 तक चुगान/निकासी की सीमा थी, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार द्वारा उसको बढ़ाकर दोगुना यानी 3 मीटर कर दिया गया।            
नेगी ने कहा कि प्रदेश की जनता की जान-माल की फिक्र किए बिना इस विधेयक को लाकर सरकार ने किसानों एवं नदी किनारे बसे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का काम किया है। पट्टे यानी नदियों से 3 मीटर (10 फीट) गहराई तक खनिज निकलने से नदी का वेग बढ़ेगा तथा नदी किनारे जमीनों का कटाव होगा, जिससे भविष्य में किसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।                 
नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि सीएम त्रिवेंद्र ने अपना राजस्व (काली कमाई) बढ़ाने के लिए यह खेल खेला है, जबकि न तो पट्टे धारकों और न ही जनता ने इस मामले में कोई आग्रह/आंदोलन किया है। नेगी ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारी महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं तथा प्रदेश का बेरोजगार, किसान, व्यापारी परेशान है, लेकिन इसके लिए आज तक कोई विधेयक नहीं आया। मोर्चा राजभवन से मामले में हस्तक्षेप की मांग करता है।     
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, नरेंद्र तोमर, मोहम्मद असद, भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद रहे।


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