बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

उत्तराखण्ड़ में नेतृत्व परिवर्तन के अफवाह की हवा

सच या झूठ से ज्यादा महत्वपूर्ण यह कि इससे भाजपा को क्या मिलेगा
उत्तराखण्ड़ में नेतृत्व परिवर्तन के अफवाह की हवा



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा इन दोनों ही दलों की इस मामले में एक जैसी नियति रही है कि अगले चुनाव में जीत हाथ से खिसकती दिखी तो इन्होंने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चाल चली। हालांकि दोनों ही दलों को इसके बावजूद कामयाबी हाथ नही लगी। फायदे की जगह सदैव ही बंटाधर हुआ। अब चूंकि एक बार फिर से प्रदेश की राजनीति में सत्ता परिवर्तन की अफवाह जोर पकड़ रही है तो जरूरी हो जाता है कि सच या गलत से इतर चर्चा हो कि इससे भाजपा को क्या मिलेगा।
खासकर तब जबकि जो नुकसान होना था, वो हो चुका। यहां पर इस बात को संज्ञान में लाना जरूरी है कि हर बार की तरह प्रदेश की सत्ता के नेतृत्व परिवर्तन की अफवाह को भाजपाईयों ने ही हवा दी है। यह हवा भी दिल्ली से चली है। पहले तो खबर फैली की सतपाल महाराज को त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह लाया जा रहा है। लेकिन एक आध दिन में इसमें भी फेरबदल हो गया और निशंक के सिर सेहरा बांध जाने लगा। 
अब सच क्या है? यह तो भाजपा का आलाकमान ही बेहतर जानता है। लेकिन जहां इस खबर ने वर्तमान नेतृत्व की नींद उड़ाकर रख दी है तो वहीं प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण पैदा हो गया है। यदि इसमें जरा सी भी सच्चाई है तो क्या वाकई भाजपा आलाकमान ने विपक्ष द्वारा वर्तमान सरकार के मुखिया पर लगाये जाते रहे नकारापन के आरोपों से इत्तेफाक रख लिया है! और यह मान लिया है कि अगला चुनाव त्रिवेन्द्र सरकार के नेतृत्व में वह नही जीत सकती? 
इसके अलावा अहम बात यह है कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी क्या हार जीत के मिथ को अगला नेता तोड़ पायेंगा? इतिहास इस बात का गवाह है कि ऐसा करके भी कभी हार टली नही है। चूंकि प्रदेश की जनता अपनी राष्ट्रीय सोच के लिए जानी जाती है और इसीलिए यहां उसने कभी भी क्षेत्रीय दलों को उभरने का मौका नही दिया। लेकिन दिल्ली में जिस तरह से औपचारिकता को तिलांजलि देकर आप जैसी पार्टी को वहां की जनता ने सत्ता का सुख भेंट किया है, वह वास्तव में यहां के राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंर्टी के समान है।  
वो तो कांग्रेस के बिखरे नेतृत्व ने फिलहाल वाकओवर दे रखा है वरना अबकी बार कांग्रेस को रोकना शायद भाजपा के बूते की बात नही होती। संभवतया इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा आलाकमान जनता का ध्यान भटकाते हुए नेतृत्व परिवर्तन का दांव चल सकती है। हालांकि ज्यादातर लोग इन अफवाहों को नकार रहें है लेकिन धरातल पर इस सरकार का भविष्य सुखमय तो नही ही दिख रहा है। ऐसे में भाजपा आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन का टोटका आजमाये तो हैरान नही होना चाहिए।


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