रविवार, 9 फ़रवरी 2020

फिल्म नालापानीः गोरखा सैनिकों के शौर्य की गाथा

फिल्म नालापानीः गोरखा सैनिकों के शौर्य की गाथा



संवाददाता
देहरादून। 206 साल पूर्व ऐतिहासिक नालापानी युद्ध के दौरान गोरखा सैनिकों के शौर्य गाथा पर नेपाल में फिल्म बनाई गई है। नेपाल के अब तक की सबसे महंगी फिल्मों में से एक बतायी जा रही फिल्म ‘नालापानी’ का प्रदर्शन देहरादून समेत भारत के भी कई हिस्सों में करने की योजना है। 
गौर हो कि गोरखा सेनापति बलभद्र कुंवर के नेतृत्व में सन 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज के साथ नालापानी खलंगा में यह युद्ध हुआ था। दून शहर से 10 किमी की दूरी पर स्थित नालापानी के खलंगा किले में उक्त युद्व के दौरान नाको चने चबवा दिए थे। 



गोरखा शासक अमर सिंह के शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज ने खलंगा किले पर धावा बोला था। किले के उस समय महज 300 के करीब नफरी थी और हथियार के नाम पर तलवारें, खुखरियां, कुछ भरवा बंदूकें और भाले थे। किले में महिलाएं और बच्चे भी थे। युद्ध में सेनापति बलभद्र कुंवर के नेतृत्व में गोरखा सैनिकों ने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए अंग्रेजों के नाको चने चबवा दिए। अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल जिलेस्पी युद्व के पहले ही दिन मारे गए। जबकि हमले में अंग्रेजों के करीब 5500 सैनिक थे। तोपें और उस वक्त के आधुनिक हथियार भी। इसके बावजूद अंग्रेजों के लिए गोरखा सैनिकों जिनमें कुछ स्थानीय गढ़वाली और कुमाऊंनी सैनिक भी शामिल थे, को परास्त करना आसान नही था।
कई दिनों तक डटे रहने के बाद भी अंग्रेजों को जीत नही मिल रही थी। जबकि गोरखा सैनिकों के पास भी गोला-बारूद और खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था। सैनिकों के साथ साथ महिलाएं और बच्चे भी घायल हो गए थे। इसके बाद बलभद्र ने बचे हुए करीब 55 पुरुष, महिला और बच्चों के साथ किला छोड़ दिया। अंग्रेज गोरखा सैनिकों के आगे नतमस्तक थे। इस युद्ध के बाद अंग्रेजों ने देहरादून के सहस्त्रधारा मार्ग पर अपने शहीद सैनिकों तथा जिलेस्पी के साथ ही बलभद्र कुंवर और शहीद गोरखा सैनिकों के सम्मान में युद्ध स्मारक का निर्माण किया।



दुनिया में ये इकलौता उदाहरण है कि किसी सेना ने अपने शत्रु के शौर्य का सम्मान करते हुए युद्ध स्मारक का निर्माण किया। इस युद्ध में गोरखा सैनिकों के साहस और युद्ध कौशल को देख ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखा शासकों के साथ संधि की। इसके बाद से ही गोरखा जवान ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश फौज में भी सेवा देने लगे। 
नेपाल के इतिहास में नालापानी युद्ध को गर्व के साथ पढ़ा और पढ़ाया जाता है। फिल्म निर्देशक रिमेश के मुताबिक नालापानी युद्ध के अद्भुत कथानक से नेपाल के लोग बेहद प्रभावित हैं। इसलिए इस पर उन्होंने फिल्म बनाने का फैसला किया। फिल्म निर्माण में नेपाली सेना ने मदद की। उसके सैनिकों ने युद्ध दृश्यों में भाग लिया। फिल्म का प्रदर्शन अभी सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया है। शूटिंग नेपाल में चितवन तथा अन्य हिस्सों में की गई है। साथ ही एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ न हो, इसका विशेष तौर पर ख्याल रखा गया है।
शुरुआती दौर में नेपाली सेना और स्कूल-कॉलेजों के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग की जा रही है। बाद में इसको नेपाल भर में प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही फिल्म को देहरादून के साथ ही भारत के अन्य हिस्सों व दुनिया के कई देशों में प्रदर्शित किया जाएगा। 
नेपाली फिल्म ‘नालापानी’ का निर्माण रिमेश अधिकारी प्रॉडक्शन ने किया है। रिमेश अधिकारी फिल्म के निर्देशक है। फिल्म की अभी स्पेशल स्क्रीनिंग की जा रही है। रिमेश के अनुसार जल्द ही इसका सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाएगा।  फिल्म के कलाकारों में देशभक्त खनाल, अर्जुन जंग शाही, संतोष पंत, मनोज शक्य, विशाल प्रहरी, विजय विस्फोट, पूजना प्रधान, गीता अधिकारी, साहिना भट्टराई, गीता बिष्ट, युग जंग कार्की सरीखे नेपाली कलाकारों के साथ ही अंग्रेज़ कलाकार भी शामिल हैं।
फिल्म की कहानी और स्क्रिप्ट लेखन का कार्य डा0 धनराज कुंवर तथा रामराज कुंवर ने किया है। रिमेश इससे पूर्व देहरादून के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी शहीद दुर्गा मल्ल पर वृत्तचित्र का निर्माण कर चुके हैं। इसके लिए वह 2013 में देहरादून अपनी फिल्म यूनिट के साथ आए थे। नालापानी युद्ध को नेपाली और गोरखा कौम के लिए सम्मान के तौर पर देखा जाता है। 


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