देवभूमि में तीर्थाटन आधारित रोजगार करने वालों पर आयेगा आर्थिक संकट!
चारधाम यात्रा पर भी पड़ेगा कोरोना वायरस का असर
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू होने को महीना भर रह गया लेकिन उसपर पड़ने वाले कोरोना वायरस के असर को अनदेखा नहीं किया जा सकता। वैसे भी इस रोग ने प्रदेश के पर्यटन को चौपट करना शुरू कर दिया है।
भले ही हम खुश हो लें कि कोरोना से बचे हुए है लेकिन इस वायरस का असर ऐसा है कि किसी न किसी रूप में हमें इसका खामियाजा भुगतना ही होगा। चाहे वह नुकसान शारीरिक हो या आर्थिक लेकिन हम भी इससे प्रभावित जरूर होने वाले है। खासकर तब जबकि दुनिया में जहां इससे लोग प्रभावित है, वहां भी और जहां असर नहीं है, वहां भी इसके खौफ से लोग किसी भी तरह की यात्रा करने से बच बचा रहें है।
प्रदेश और यहां के वाशिन्दों को इस बार की यात्रा सीजन में झटका लगना तय है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान रहता है। यह स्थानीय लोगों के रोजगार का बड़ा आधार भी है। लेकिन यदि कोरोना वायरस का असर बना रहता है तो निश्चित तौर पर यह हमारे लिए आफत बनकर रहेगा।
प्रदेश सरकार इसको लेकर बेफिक्र दिखाई देती है लेकिन काम धंधा करने वाले इस बात को लेकर चिंतित है। क्योंकि यात्रा सीजन के दौरान होने वाली आय से ही उनके साल भर का गुजारा चलता है। आपदा के कई साल तक नुकसान की भरपाई करने के बाद पिछले साल ही स्थानीय व्यवसायियों ने थोड़ी बहुत कमाई की थी लेकिन इस बार मंडरा रहें संकट को देखते हुए लगता है कि यह संकट भी किसी आपदा से कम नही होने वाला है।
इसको देखते हुए जरूरी हो जाता है कि सरकार यात्रा सीजन पर निर्भर रहने वालों के लिए मदद की पहल करे ताकि अपने वाले संकट से उन्हें कुछ राहत मिले। साथ ही उसे यात्रा मार्ग पर चिकित्सा के अतिरिक्त इंतजामों को पुख्ता करना होगा। क्योंकि जहां एक ओर यहां के व्यवसायियों को आर्थिक झटका लगने की प्रबल संभावना है वहीं यदि आवाजाही प्रभावित नही होती तो वायरस के चपेट में आने का खतरा भी बरकरार रहने वाला है। यानि एक तरह उनके लिए कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई।
भले ही अभी इस बात को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित नही दिख रही लेकिन जल्द ही इस संकट का उसे आभास अवश्य होगा। आज के ग्लोबल युग में कोई भी संकट एक छोटे से दायरे में सिमटा नही रह सकता। उससे हर कोई किसी न किसी रूप से अवश्य प्रभावित होता ही है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि इसको लेकर तैयारियां हो। यात्रा से संबंध्ति सभी पक्ष इसके लिए पहले से तैयार रहें और ऐतिहात बरतें।
इससे नुकसान भले ही न रोका जा सके लेकिन संभावित संकट से उबरने में आसानी होगी। इसमें कोई शक नही कि आगामी यात्रा सीजन में कोरोना वायरस का असर तो होगा ही। सरकार भले ही संकट को दूर न कर सके लेकिन समझदारी से काम ले तो वह स्थानीय लोगों के संकट को कम तो कर ही सकती है।