नवरात्रि में देवी की पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं। ये माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन में होते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि से वातावरण के अंधकार का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। मन में उल्लास, उमंग और उत्साह की बढ़ोतरी होती है। शक्ति की प्रतीक नारी के सम्मान में इस दिनों देवी की उपासना ही की जाती है।
नवरात्रि के प्रथम दिन देवी के शैलपुत्री स्वरुप की उपासना की जाती है। इनकी उपासना से देवी की कृपा तो मिलती ही है साथ में सूर्य भी मजबूत होता होता है। इस बार नवरात्रि का प्रथम दिन 25 मार्च को होगा।
नवरात्रि के और कलश स्थापना के नियम इस प्रकार है- नवरात्रि में जीवन के समस्त भागों और समस्याओं पर नियंत्रण किया जा सकता है। नवरात्रि के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। नियमित खान पान में जौ और जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
इन दिनों तेल, मसालाऔर अनाज कम से कम खाना चाहिए। कलश की स्थापना करते समय जल में सिक्का डालें। कलश पर नारियल रखें और कलश पर मिट्टी लगाकर जौ बोएं। कलश के निकट अखंड दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करें।
कलश स्थापना का मुहूर्त- कलश की स्थापना चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को है। लेकिन प्रतिपदा सायं 05.26 तक ही है इसलिए कलश की स्थापना सायं 05.26 के पूर्व कर ली जाएगी।