यूपीजेइंए द्वारा उपाकालि (यूपीसीएल) के फरमान पर विरोध दर्ज
उपाकालि के प्रबंध निदेशक को नहीं कर्मचारी अधिकारियों की चिंता!
संवाददाता
देहरादून। एक ओर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लोगों से कोरोना वायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की जा रही है। कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। वही यूपीसीएल को नोबेल कोरोना यानि कोविड 19 का खौफ नहीं है। उसके रवैये ऐसा लगता है कि उसे ना अपने कर्मचारियों की फिक्र है और ना अपने उपभोक्ताओं के सेहत की चिंता ही है।
गौरतलब है कि यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक के कार्यालय द्वारा जारी पत्र 2962 दिनांक 18 मार्च 2020 के अनुपालन में विद्युत विभाग के कर्मचारी डोर टू डोर जाकर विद्युत बिल संग्रह कर रहे हैं तथा बकायेदारों के विद्युत संयोजनों को विच्छेद करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं विद्युत कार्यालयों में इस संदर्भ में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं का आगमन हो रहा है। जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना प्रबल हो गई है।
प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री द्वारा एक और जनता से नोबल कोरोना के संक्रमण से बचाव की अपील की जा रही है तो वहीं प्रदेश के यूपीसीएल एमडी द्वारा कोरोना से देश की जंग का मजाक उड़ाया जा रहा है। लेकिन उनकी इस लापरवाही के खिलाफ उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने अपना विरोध दर्ज कराया है।
एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष दीपक पाठक द्वारा 20 मार्च को पत्रांक 20032/उ०पा०जू०इं०ए० के माध्यम से यूपीसीएल एमडी से आग्रह किया गया है कि कोरोना वायरस प्रकोप के चलते वर्तमान हालात को देखते हुए विद्युत व्यवस्था जैसी अनिवार्य सेवा को छोड़कर अन्य सेवा, मसलन लाइन विच्छेदन, बकाया वसूली या अन्य राजस्व कार्य तथा उपभोक्ताओं के अन्य कार्यों को अस्थाई रूप से स्थगित किया जाए।
बता दें कि यूपीसीएल के एमडी कार्यालय द्वारा जारी उक्त फरमान के प्रति विभाग में रोष बढ़ता जा रहा है और ग्राउंड लेवल पर कार्य करने वाले कर्मचारी अधिकारी भी अब उक्त फरमान के खिलाफ खड़े होने लगे हैं। यह कोरोना वायरस के खिलाफ देश की जंग के लिए जागरूकता का प्रमाण है। लेकिन सवाल कायम है यूपीसीएल एमडी को अक्ल कब आएगी।