बुधवार, 8 अप्रैल 2020

जमातियों की शर्मनाक हरकत

जमातियों की शर्मनाक हरकत



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। दुनिया भर में जहां कोरोना वायरस का प्रकोप कहर बरपा रहा है। बड़ी तेजी से यह घातक वायरस अपने पैर पसार रहा है और रोजाना हजारों जीवन को लील रहा है वहीं देश में तब्लीकी जमात से जुड़े लोगों की हरकत मानवता के खिलाफ है और शर्मनाक भी। इसकी जितनी भी निंदा की जाये, वो कम है। लेकिन दुर्भाग्य से बहुत से लोग जमात के घृणित कृत्य को जस्टिफाई करते हुए कमतर करके आंक रहें है। वह भी सिर्फ इसलिए कि वे उनके समुदाय से है। जबकि होना यह चाहिये था कि तब्लीकी जमात के लोगों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों पर थूकना और उनके साथ दुर्व्यवहार करने की निंदा की जानी चाहिये थी और ऐसे लोगों के साथ सख्ती से पेश आने की हिमायत की जानी चाहिये थी। ताकि कोई जमाती ऐसा दुःसाहस दोबारा न कर सके।
दरअसल बहुत से लोगों की धरणा यह है कि तब्लीकी जमात दुनिया भर के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि यह गलत है। यह केवल मुसलमानों के सुन्नी फिरके के वह भी देवबंदी विचारधारा वाले कुछ लोगों का ही प्रतिनिधित्व करता है। यहां पर गौर करना चाहिये कि इस्लाम के 72 फिरके है। उनमें से शिया और सुन्नी फिरकों को मानने वाले बहुसंख्यक है। जबकि बाकी की गिनती बहुत कम है। हालांकि यह सभी फिरके अपने अपने तरीके से इस्लाम को मानते है और उसके प्रति आस्था रखते है। चूंकि इस्लाम में सुन्नी फिरका संख्या बल में सबसे ज्यादा है इसलिए वह अपने सिवाय अन्य फिरकों को गैर इस्लामिक समझता है।  
हालांकि इनमें से भी सभी सुन्नी लोग तब्लीकी जमात के क्रियाकलापों से सहमत नहीं है। वहीं सउदी अरब और ईरान जैसे देशों ने भी इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह जानना इसलिए जरूरी है ताकि तब्लीकी जमात की सही जानकारी मालूम हो। कहने को तो यह जमात स्वयं को इस्लाम धर्म प्रचारक के तौर पेश करती है लेकिन इसके नाम पर अधर्म करना इसका पुराना ढर्रा है। आज इसके शर्मनाक कृत्य से देश शर्मसार है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ हमारे राजनीतिज्ञ जिम्मेदार है जो वोट बैंक के लिए ऐसे जाहिल जमातों को प्रश्रय देती रही है। 
लेकिन बदलते समय के साथ अब वक्त आ गया है कि देश में धर्म के नाम पर मनमानी करने वालों की अक्ल को ठिकाने लगाया जाये ताकि ऐसे लोग देश और समाज के लिए आगे चलकर खतरा न बन जाये। इसके लिए कठोर से कठोर कदम उठाये जाने चाहिये।


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