कोरोना काल में उपयोगी रोजा, नमाज व जकात
जानकारी देने वाली पुस्तक निःशुल्क डिजिटल उपलब्ध करायी जा रही
संवाददाता
काशीपुर। कोरोेना काल में सभी मुसलमानों के लिये अनिवार्य नमाज व रोजा व खाता-पीतों पर अनिवार्य ज़कात की उपयोगिता और बढ़ गयी हैै। इसके सांसारिक फायदों की जानकारी आसान हिन्दी में देने वाली नदीम उद्दीन (एडवोेकेट) द्वारा लिखित पुस्तक आम जनता को निःशुल्क डिजिटल उपलब्ध करायी जा रही जो मोबाइल, टैब या कम्प्यूटर पर पड़ी जा सकती है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स) के केन्द्रीय अध्यक्ष तथा कानूनी व जागरूकता पुस्तकोें के लेखक नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा लिखित पुस्तक सेहत व खुशहाली के लिये नमाज, रोजा व जकात रीड व्हीयर, युग निर्माता तथा फेसबुक की वेेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध है तथा 9411547747 पर व्हाट्स एप्प के माध्यम से भी उपलब्ध करायी जा रही हैै। इसे टैब, मोबाइल तथा कम्प्यूटर पर आसानी सेे पढ़ा जा सकता है।
नदीम ने बताया कि मुसलमानोें ने 1400 साल से अधिक समय से योेग अपना रखा हैै। प्र्रत्येक मुसलमान केे लियेे पांच समय नमाज पढ़ना जरूरी हैै उसमें मुसलमान प्रतिदिन 23 बार वज्रासन करते है। रमज़ान में तराबीह पढ़ने पर यह 10 बार और अधिक हो जाता है। इसके अतिरिक्त नमाज में मुसलमानोें द्वारा भू नमन वज्रासन, दक्षासान, हस्तपदासन तथा सूर्य नमरकार सहित विभिन्न योगासनों की स्थितियां की जाती हैै। नमाज़ के बाद तसबीह में अंगूठेे से अंगुलियों को मिलाकर ध्यान मुद्रा, पृथ्वी मुुद्रा, वरूण मुद्रा तथा आकाश मुद्रा सहित विभिन्न योग मुद्रायें भी स्वतः हो जाती है। इसलिये कोरोेना काल में नमाज इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत उपयोेगी है। इसकेे अतिरिक्त रमज़ान केे रोजे शरीर से टॉक्सिन्स निकाल कर शरीर को शुद्ध करते हैै तथा खराब हुये टिश्युओें को पुनः जीवित करने व अंगों केे सुचारू संचालन मेें योगदान करते हैं।
कोरोेना काल में जब दुनिया बढ़ती गरीबी से जूझ रही है, इसमें जकात जिसमें प्रत्येेक खाता-पीता व्यक्ति अपनी कुल सम्पत्ति का चालीसवां भाग गरीबोें पर खर्च करता है, संसार सेे गरीबी की समस्या से निबटने के लिये वरदान का काम कर सकती हैै।
नदीम नेे रोजा, नमाज़ व जकात के सांसारिक लाभोें को जानने में रूचि रखने वालेे लोगों सेे पुुस्तक पढ़कर अपने विचार देने का अनुरोध किया हैै ताकि अगलेे संस्करणों में औैर सुधार किया जा सके।
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