शनिवार, 4 अप्रैल 2020

महामारी के मुकाबले में चीनी परंपरागत चिकित्सा की विशिष्ट भूमिका

महामारी के मुकाबले में चीनी परंपरागत चिकित्सा की विशिष्ट भूमिका



चीन के अनुसार कोविड-19 महामारी के मुकाबले में चीनी परंपरागत चिकित्सा विशिष्ट भूमिका निभा रही है, जो चीनी इलाज उपाय का एक महत्वपूर्ण अंग है।
एजेंसी
बीझिंग। नोवेल कोरोना वायरस महामारी पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अनेक बार चीनी परंपरागत चिकित्सा और पश्चिमी चिकित्सा दोनों के जुड़ाव की बात कही। चीनी स्वास्थ्य आयोग के जिम्मेदार व्यक्ति ने बताया कि नोवेल कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ाई में चीनी उपचार परंपरागत चिकित्सा और पश्चिमी चिकित्सा का साथ साथ प्रयोग करता है। यह चीनी स्वास्थ्य कार्य की कार्य नीति भी है।
नोवेल कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों में बुखार, दस्त और मानसिक चिंता जैसे लक्षण के प्रति चीनी परंपरागत चिकित्सा जगत ने विशेष सूप का आविष्कार किया, जो फेफड़ों को साफ कर कीटाणु बाहर निकालता है। क्लिनिक प्रयोग से पता चला कि इस विशेष सूप का हल्के या गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों पर कारगर प्रभाव होता है।
विभिन्न मरीजों के प्रति चीनी परंपरागत चिकित्सा के उपचार में विभिन्न तरीके अपनाये जाते हैं, जैसे काढ़े का सेवन, एक्यूपंचर और मालिश। चीनी परंपरागत थाईची मुक्केबाजी और प्राणायाम भी हुपेइ के संबंधित अस्पतालों में प्रयुक्त किये जाते हैं।
चीनी परंपरागत चिकित्सा जगत ने हुपेइ प्रांत को लगभग 5000 चिकित्सक भेजे। चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की जिम्मेदार व्यक्ति युयान होंग ने बताया कि अब 50 हजार कोविड-19 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश लोगों ने चीनी परंपरागत औषधियों का प्रयोग किया है।
विशेषज्ञ दल के अध्ययन के अनुसार चीनी परंपरागत चिकित्सा और पश्चिमी चिकित्सा के जुड़ाव से जल्दी से मरीजों के बुखार, खांसी और कमज़ोरी की स्थिति सुधारी जाती है और अस्पताल में उपचार का समय घटाया जाता है इससे मृत्य दर में कमी आती है।


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