महंगाई भत्ता रोके जाने के खिलाफ याचिका
सरकार के फैसले के खिलाफ सेना के रिटायर्ड अफसर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी निशाना साधा
एजेंसी
नई दिल्ली। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है, खासकर बुजुर्गों के लिए तो ऐसे समय में पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में कटौती का फैसला उचित नहीं है
केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सेना के एक रिटायर्ड अफसर ने इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दायर याचिका में महंगाई भत्ता कटौती के फैसले को वापस लेने के लिए कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
सेवानिवृत्त मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने यह याचिका दायर की है। कैंसर पीड़ित ओंकार सिंह गुलेरिया ने शीर्ष कोर्ट के समक्ष कहा है कि बीमार पत्नी के साथ किराये के घर में रहता हूं और मेरी आय का एक मात्र स्रोत मासिक सैन्य पेंशन है। ऐसे लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं जो पेंशन पर निर्भर हैं, लेकिन महंगाई भत्ता रोके जाने के केंद्र सरकार के फैसले से परेशान हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है, खासकर बुजुर्गों के लिए तो ऐसे समय में महंगाई भत्ते में कटौती का फैसला उचित नहीं है। हम जैसे पेंशनभोगियों के लिए पेंशन ही एक मात्र सहारा है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री के उस बात का पालन करने का निर्देश दे, जिसमें उन्होंने कहा था कि वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करें और वेतन में कटौती न करें, दूसरों की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोविड-19 अधिक खतरनाक है।
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकारी कर्मचारियों और सैनिकों के भत्ते काटने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं करने के सरकार के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इस वक्त केंद्रीय कर्मियों एवं सैनिकों के लिए मुश्किल पैदा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का संवेदनहीन तथा अमानवीय निर्णय है।
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