टीवी के लिए बेस्ट टेक्नॉलाजी
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ओलेड ज्यादा बेहतर
प0नि0डेस्क
देहरादून। टेलिविजन ने ब्लैक ऐंड व्हाइट, रंगीन, एलसीडी, एलईडी और स्मार्ट टीवी तक का सफर तय कर ओलेड, एलईडी व एलसीडी स्क्रीन्स तक पहुंच गया है। जिस तरह के स्पेसिफिकेशन्स, टेक्नॉलाजी टीवी में दी जा रही है, उसके चलते एक नया टीवी खरीदना कठिन फैसला हो गया है। टीवी टेक्नॉलाजी की दुनिया में थोड़ा सा फर्क भी एक बड़ा अंतर पैदा कर देता है। इसका असर परफॉर्मेंस पर भी पड़ता है। मसलन ओलेड और एलईडी को लें, सिर्फ एक अतिरिक्त अक्षर ओ बहुत बड़ा अपग्रेड है। इसी तरह एलईडी और एलसीडी में भी एक अक्षर का फर्क है लेकिन दोनों ही टेक्नॉलजी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।
ओलेड टीवी क्या है? यह एलईडी से किस तरह बेहतर है? अब कोई एलसीडी टीवी की बात क्यों नहीं करता जबकि अभी भी इस तरह की टीवी खासी बेची जा रही है। निश्चित तौर पर आपने ओलेड टीवी के बारे में सुना होगा और यह भी जानते होंगे कि दुनियाभर में अब इस तरह के टीवी का बोलबाला है। लेकिन असल में ओलेड टीवी है क्या? पिछले टेक्नॉलजी के टीवी से यह किस तरह अलग है?
आलेड का मतलब होता है अर्गेनिक लाइट इमिटिंग डियोड और यह एक डिस्प्ले टेक्नॉलाजी है। इस टेक्नॉलाजी में दो कंडक्टर्स के बीच कार्बन बेस्ड एक फिल्म लगाई जाती है। यह कंडक्टर करंट जारी करता है और इससे फिल्म से लाइट निकलती है। इस टेक्नॉलजी में सबसे अहम है कि लाइट पिक्सल-बाय-पिक्सल बेसिस पर निकलती है, ताकि व्हाइट या कलर्ड पिक्सल उस ब्लैक या पूरी तरह से अलग कलर के पास निकल सके और कोई उससे प्रभावित भी ना हो। इससे कंट्रास्ट एक अलग तरह के बेहतरीन लेवल पर पहुंच जाते है जो दूसरी मौजूद टीवी टेक्नॉलाजी के लेवल से कहीं ज्यादा है। दूसरी कोई भी टेक्नॉलजी इस लेवल को मैच नहीं कर सकती।
ओलेड टीवी थिकनेस इनक्रीजिंग बैकलाइट पर निर्भर नहीं होते। इस तरह के टीवी दूसरे टेलिविजन की तुलना में ज्यादा पतले और हल्के होते हैं। व्यूइंग ऐंगल्स भी परफेक्ट होते हैं और रिस्पॉन्स टाइम काफी तेज रहता है। ओलेड टीवी में कभी भी इमेज रिटेंशन की समस्या नहीं देखी गई है। बात करें ओलेड टीवी की कीमत की तो पिछले कुछ सालों में इनकी कीमतें कम हुई हैं और अभी भी गिरावट जारी है। लेकिन अभी भी ये एलसीडी/एलईडी टीवी से ज्यादा महंगे हैं। ओलेड टीवी के लिए अभी भी 50,000 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे लेकिन नॉन-ओलेड टीवी 30,000 के आसपास मिल जाती है।
निर्माता काफी सालों से एलईडी टीवी बेच रहे हैं। लेकिन एलईडी एक डिस्प्ले टेक्नॉलाजी नहीं है। एलईडी टीवी में जो एलईडी होती हैं वह असल में एलसीडी पैनल के लिए बैकलाइटिंग देती हैं। इसलिए असल में एक एलईडी टीवी वाकई में एक एलसीडी टीवी है। जैसे-जैसे निर्माताओं ने सीसीएफएल (कोल्ड-कैथड फ्लोरेसेंट लैंप) बैकलाइट से दूरी बनानी और एलईडी बैकलाइटिंग को पेश करना शुरू किया, उन्होंने मार्केटिंग जोरदार की। मैन्युफैक्चरर्स हर किसी को यह समझाने में सफल रहे कि उन्हें अपने एलसीडी टीवी को एलईडी टीवी से अपग्रेड करने की जरूरत है। जबकि दोनों पैनल असल में एलसीडी ही होते हैं। लेकिन सिर्फ इसलिए कि मार्केटिंग मिसलीड करके की गई, इसका मतलब यह नहीं है कि यह टेक्नॉलाजी बेकार है। पुरानी सीसीएफएल बैकलाइट से तुलना करें तो एलईडी बैकलाइट काफी चमकदार, बेहतर कंट्रास्ट, कम बिजली खपत करने वाला और कम मोटाई व हल्के वजन वाला टीवी है।
एलईडी बैकलाइट्स सामान्य तौर पर दो तरह की होती है- ऐज या डायरेक्ट। इनके नाम से ही काफी कुछ पता चल जाता है। एक ऐज एलईडी बैकलाइट में स्क्रीन के किनारों पर चारों पर एलईडी रन होती है जबकि डायरेक्ट एलईडी बैकलाइट एलसीडी के पीछे मौजूद रहती हैं और सीधे इसके जरिए लाइट शाइन होती है। एक डायरेक्ट एलईडी बैकलाइट ज्यादा चमकदार और बेहतर कंट्रास्ट मुहैया कराती है। अब समझ आ गया है कि एलईडी टीवी असल में एलसीडी टीवी ही है। बिक्री के मामले में एलसीडी टीवी टेक्नॉलजी बहुत आगे रही और लगभग एक दशक तक एलसीडी टीवी ने बाजार पर कब्जा जमाए रखा।
बड़ी-बड़ी सीआरटी को रिप्लेस करने के लिए प्लाज्मा के साथ आईंएलईडी (लिक्विड-क्रिस्टल डिस्प्ले) टीवी में लिक्विड क्रिस्टल का एक पैनल होता है जिसके जरिए एक बैकलाइलट से लाइट दिखाई जाती है। इन बैकलाइट्स में शुरू में सीसीएफएलस होते थे लेकिन अब ये हमेशा एलईडी से ही बनाए जाते हैं। पिछली जेनरेशन के मुकाबले एलसीडी टीवी ज्यादा हल्के, पतले, चमकदार ज्यादा कलरफुल और बनाने में सस्ते थे।
इन दिनों बाजार में कुछ बेहद बढ़िया एलसीडी बेस्ड टीवी बाजार में हैं और इनकी कीमत व परफॉर्मेंस भी अच्छी है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ओलेड ज्यादा बेहतर है। जिस दिन ओलेड भी किफायती दाम में उपलब्ध होंगे, उस दिन शायद कुछ और (माइक्रोएलईडी) ओलेड को रिप्लेस कर देगा।