दमयंती ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के आदेश ठुकराकर पाई प्रतिनियुक्तिः मोर्चा
- मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री ने नहीं दी थी प्रतिनियुक्ति पर सहमति
- दमयंती रावत भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर तैनात
- मूल विभाग है इनका शिक्षा विभाग
- प्रतिनियुक्ति के पीछे करोड़ों के बजट को ठिकाने लगाना है उद्देश्य
- बिना एनओसी प्रतिनियुक्ति कैसे संभव, कहां है सरकार का जीरो टोलरेंस!
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि श्रम विभाग के अंतर्गत भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) में वर्ष 2018 से सचिव पद पर तैनात श्रीमती दमयंती रावत ने बिना अपने मूल विभाग (शिक्षा विभाग) से एनओसी प्राप्त किए श्रम मंत्री से सांठगांठ एवं नजदीकी का फायदा उठाकर बीओसीडब्ल्यू में प्रतिनियुक्ति हासिल की। इससे पूर्व श्रीमती दमयंती वर्ष 2017 से ही अपर कार्याधिकारी, बीओसीडब्ल्यू के पद पर बनी हुई थी।
महत्वपूर्ण है कि शिक्षा विभाग से बिना एनओसी प्राप्त किए अन्य विभाग में इन्होंने कैसे प्रतिनियुक्ति हासिल की! जबकि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री अपने आदेश दिनांक 9/01/18 के द्वारा उक्त प्रतिनियुक्ति संबंधी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं तथा बाकायदा सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अपने आदेश दिनांक 16/01/18 के द्वारा एनओसी पर असहमति जताई थी यानि मना कर दिया गया था।
हैरानी की बात है कि लगभग ढाई-तीन वर्षों से बिना एनओसी के आज तक सचिव के पद पर बनी हुई हैं, जोकि जीरो टोलरेंस का फर्जी नारा देने वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है। शर्मा ने कहा कि उक्त मामले में न तो आज तक शिक्षा विभाग ने इन को बर्खास्त कर कोई कार्रवाई की और न ही श्रम विभाग ने इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त की। पूर्व में कृषि विभाग के अधीन इनका प्रतिनियुक्ति मामला भी आज तक विवादित है।
इसके साथ-साथ चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रतिनियुक्ति के खेल के पीछे करोड़ों रुपए का बजट ठिकाने लगाना है, जिसके द्वारा श्रमिकों को करोड़ों रुपए की घटिया साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट, सोलर लालटेन आदि के वितरण एवं खरीद में घोटाला कर करोड़ों रुपए की काली कमाई अर्जित करनी है। जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि प्रतिनियुक्ति मामले में तत्काल कार्रवाई करे।