होम क्वारंटीन की थ्योरी को लोगों की भागमभाग की आदत ने गलत साबित किया
प्रवासियों के साथ आये कोरोना वायरस ने बिगाड़ा खेल!
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। आज के समय में सबसे मुश्किल काम है किसी को एक जगह पर लंबे समय तक टिकाये रखना। ऐसा इसलिए कि लोगों को भागमभाग वाली जिन्दगी की आदत हो गई है। एक जगह तो कोई टिक नही सकता। अब चाहे कितनी ही आफत क्यों न आ जाये। यहीं कारण है कि प्रदेश में आने वाले प्रवासियों को जब होम क्वारंटीन में रहने को कहा गया तो ज्यादातर लोगों ने इसे हल्कें में लिया।
जहां पुलिस आदि एजेंसियां लाकडाउन का अनुपालन कराने के लिए मुस्तैद है, वहां तो लोग बाग मजबूरी में ही सही उसका पालन करते रहे लेकिन जिस इलाके में ऐसी मानिटरिंग नही हो पा रही वहां पर लाकडाउन की ध्ज्जियां उड़ती रहीं। और जैसे जैसे प्रवासियों की तादाद बढ़ने लगी तो प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के आंकड़े भी तेजी से गति पकड़ने लगे है।
दरअसल होम क्वारंटीन की थ्योरी को लोगों की भागमभाग की आदत ने गलत साबित करके रख दिया है। जैसी कि हम पहले भी आशंका जता चुके है, प्रवासियों के साथ साथ कोरोना की भी प्रदेश और पहाड़ में इंट्री हो गई। सच कहें तो प्रदेश सरकार प्रवासियों की व्यापक निगरानी में नाकाम रहीे और प्रदेश के सभी जिले ग्रीन से आरेंज जोन में चले गए।
भले ही लोगों ने कोरोना वायरस से बचाव के उपायों को हल्के में लिया हो लेकिन प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की संख्या, प्रदेश सरकार की नाकामी को बताने के लिए काफी है। क्योंकि उसके पास पहले तो प्रवासियों को वापस लाने का कोई क्लीयर रोड़ मैप नहीं था। जब लोगों का दबाव पड़ा तो आनन फानन में इस ओर उसे कदम बढ़ाने पड़े। लेकिन इस दौरान बरते जाने वाले ऐतिहात को नजरअंदाज किया गया।
वैसे भी अब सरकार संसाधनों की कमी का रोना नहीं रो सकती। यदि क्वारंटीन और रेपिड जांच को गंभीरता ले लिया गया होता तो संक्रमितों की संख्या को थामा जा सकता था। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो ेपाया। प्रदेश सरकार की कोरोना महामारी को लेकर गंभीरता का नमूना देखिए। क्वारंटीन का जिम्मा ग्राम प्रधनों को दे दिया गया। जबकि आरोप लग रहें है कि पैसा उनको रिलीज नहीं किया गया।
गौर हो कि चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण के थमने के बाद की गई जांच के बाद वैज्ञानिकों ने भी होम क्वारंटीन को व्यर्थ बताया था। उनका मानना था कि संस्थागत क्वारंटीन ही संक्रमितों की पहचान का सबसे बेहतर जरिया है। अब सरकार कोर्ट के डंडे के बाद जागी है और वह प्रदेश की सीमा पर क्वारंटीन एवं जांच की बात कह रही है। लेकिन ऐसा जागना भी किस काम का जो घाव दे चुका और अब कामना की जा रहीं है कि दर्द का इलाज हो जायेगा।
काफी समय तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े स्थिर रहे लेकिन प्रवासियों के साथ आये कोरोना वायरस ने सारा गणित बिगाड़ कर रख दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि आज प्रदेश के सभी जिले ओरेंज जोन में पहुंच गए है।