नेपाल में कई दशकों से भारत विरोधी गतिविधियां संचालित
चीनी इशारे पर नेपाल की भारत विरोधी हरकत!
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। हमारे पड़ोसियों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चीन का पुराना दांव है। श्रीलंका, मालद्वीव हो चाहे वो नेपाल या पाकिस्तान, उसने हमेशा इनको हमारे खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की है। नेपाल का नक्शे संबंधी विवाद को भारत के खिलाफ हवा दिया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। नेपाल के प्रधनमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को चीन ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने नेपाल के नए नक्शों संबंधी विवाद खड़ा कर लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपनी सीमा में दिखाने संबंधी चाल चल दी। इससे पहले ओली ने अपने बयानों के जरिए भारत विरोध में जहर उगलना जारी रखा था। ओली ने कहा था कि चीन से आए वायरस की तुलना में भारतीय वायरस ज्यादा खतरनाक है।
लेकिन क्या यह सब महज औली के सत्तासीन होने के बाद हुआ? जो ऐसा सोचते है वो भारी मुगालते में है। नेपाल में दशकों से भारत विरोधी हरकतें संचालित होती रही है। नेपाल में वामपंथियों के प्रभाव में आने से पहले ही भारत विरोधी गतिविध्यिां जारी थीं। जब पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई तो काठमांडू में खलिस्तान समर्थकों ने खुलेआम जश्न मनाया। उनको तब नेपाल के तत्कालीन राजशाही का संरक्षण मिलता रहा।
भले ही तत्कालीन नेपाल नरेश को सज्जन एवं भारत का हितैषी समझा जाता रहा हो लेकिन नेपाल में भारत विरोधी लहर को हवा देने वालों में वे अग्रणीय थे। उसके बाद वामपंथियों ने भारत विरोध का नेपाल में झंड़ा उठा लिया। नेपाल में भारत विरोध में आवाज बुलंद करना ही उनका एकमात्र एजेंड़ा रहा। वैसे भी बहुत से रक्षा विशेषज्ञ मानते है कि यदि नेपाल की सीमा को सील कर वीजा और पासपोर्ट सिस्टम लागू कर दिया जाये तो देश में बाहर से आने वाली नकली करेंसी, नशे का सामान और आतंकियों की आमद रूक सकती है।
आज के हालात को देखते हुए हमें जो किया जाना चाहिये था, वह नेपाल सरकार कर रही है। सीमा पर सघन जांच और सीमावर्ती इलाकों पर बारीक नजर आज नेपाल की फौज रख रही है। जबकि यह हमें करना चाहिये था क्योंकि वहां से तमाम जरायम प्रवृति के लोग और काला कारोबार आज संचालित होता है। नेपाल के लाखों लोग भारत में निवास करते है और करोड़ों की संख्या में लोग रोजगार करने आते है, उसके बाद भी नेपाल द्वारा भारत विरोधी एजेंड़े को हवा दिया जाना असहनीय है।
भले ही यह सब वहां चीन के इशारे पर हो रहा हो लेकिन इस तथ्य के आधर पर इस काम के लिए माफी नहीं हो सकती है। एक वरिष्ठ भाजपाई नेता संभवतया सही कह रहें है कि भारत नेपाल के रिश्तों को रिसेट किए जाने की जरूरत है। आज के वैश्विक हालातों को देखते हुए भारत को नेपाल के साथ कड़ाई के साथ पेश आना ही चाहिए। साथ ही अब वक्त आ गया है कि नेपाल के साथ नये नजरिये के साथ पेश आया जाये और दोनों देशा के बीच आवागमन को बिना पासपोर्ट एवं वीजा के बंद किया जाये।
क्या यह कहीं संभव है कि कोई अपने ही खिलाफत करने वालों को संरक्षित करता है? जी हां, यह भारत कर रहा है। दशकों से हमारे देश की खुफिया एजेंसियां सोई हुई है। हमारे लोग सच को देखना नहीं चाहते या जानबूझ कर नजरअंदाज कर रहें है। वरना ऐसी क्या मजबूरी है कि लगातार भारत विरोधी मूवमेंट चलाने वाले देश के नागरिक बेरोकटोक आते जाते है। खासकर नेपाल भले ही हमारे मुकाबले छोटा सा देश हो परन्तु नक्शे के विवाद के जरिए उसने बड़ी हिमाकत की है। जिसके लिए उसे कड़ा संदेश दिया जाना जरूरी है।
इसके अलावा पुराने संबंधों को एक तरफ रखकर भारत को नेपाल के साथ नये तरीके से ट्रीट करना चाहिये। सेना में नेपाली नागरिकों की इंट्री समाप्त हो और पासपोर्ट या वर्क परमिट जैसे प्रावधान किए जाये ताकि हमारे नागरिकों की सुविधा का लाभ उठाकर हमारे खिलाफ सुर उठाने वालों को सबक मिले कि ऐसा करने पर वे दंड़ के भागी बन सकते है।