ग़ज़ल
- बलजीत सिंह बेनाम
गर मेरे हिस्से में धोखा आएगा।
तू भी अपने को बचा कब पाएगा।।
अहमियत रह जाएगी क्या रिश्तों की।
आँख का पानी अगर मर जाएगा।।
बाँटने से कम नहीं होगा कभी।
बोझ दिल का और बढ़ता जाएगा।।
दौर बदला है सबक को याद रख।
राह से रहबर तुझे भटकाएगा।।
सम्प्रतिः हिसार हरियाणा के पेशे से संगीत अध्यापक बलजीत की रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है। वे विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ भी करते है। उन्हें विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।