केवल मास्क से रोका जा सकता है कोरोना का संक्रमण
कोविड-19 की रोकथाम के लिए मास्क है लाकडाउन का विकल्प
एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस वायरस से पीड़ित मरीजों की तादाद देश में भी बढ़ती जा रही हैं। पिछले 2 महीने से लगे सख्त लाकडाउन के बाद भी देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 3 लाख पार कर चुकी है। हालांकि अब माल्स, होटल्स व धार्मिक स्थल दोबारा खुलने लगे हैं। इस बीच हाल ही में किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि पफेस मास्क का अगर व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकना संभव है।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ प्लांट साइंस के रिचर्ड स्टट जो इस शोध के मुख्य आथर भी हैं, उनके अनुसार अगर पफेस मास्क का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाए तो इस कोरोना काल को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। उनके अनुसार जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मास्क पहनकर देश में आर्थिक गतिविधियां भी शुरू की जा सकती हैं। हालांकि शोध में मास्क के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सैनिटाइजेशन और कुछ हद तक लाकडाउन पर भी जोर दिया गया है।
कोरोना वायरस के इस दौर में मास्क लोगों की सबसे बड़ी जरूरत बनकर उभरा है। इस शोध के अनुसार अगर देश की 75 फीसदी आबादी भी मास्क का प्रयोग करती है तो बगैर लाकडाउन के भी कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है। शोध में इस बात का जिक्र है कि अगर लोग सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनेंगे तो अगले करीब डेढ़ साल में इस वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
इसके मुताबिक लक्षण नजर आने के बाद मास्क पहनने से ज्यादा असरदार है हर समय मास्क पहनकर रहना। लक्षण दिखने के बाद मास्क का पहनने की बजाय, बिना लक्षण दिखे यानी कि सार्वजनिक स्तर पर मास्क का प्रयोग करने से संक्रमण दर को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले हर समय मास्क न लगाए रखने की सलाह दी थी। पर जब से इस वायरस के लक्षण असिंप्टोमैटिक हुए हैं, तब से ही वह मास्क के विश्वव्यापी इस्तेमाल पर जोर दे रहा है।