सरकार पर जिम्मेदारी डालकर बच नहीं सकते नागरिक
प्रदेश में करोनो वायरस संक्रमण का टूटा कहर
प0नि0 ब्यूरो
देहरादून। यह बात सही है कि तब्लीगी जमात के बाद प्रवासियों की घर वापसी के दौर में कोरोना वायरस के संक्रमण ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। महामारी के संक्रमण ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए है। हालांकि इसमें प्रदेश सरकार की नाकामी झलकती है लेकिन सारी जिम्मेदारी सरकार पर डाल कर नागरिक इस महामारी से बच नहीं सकते है।
हम कोरोना के कहर के प्रति कितना जागरूक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अधिकांश लोगों ने आरोग्य सेतू ऐप को डाउनलोड नहीं किया है। वहीं जिन्होंने किया भी, वे ईमानदारी से अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी इस ऐप से शेयर करने से कतरा रहें है। अब आप एक कैबिनेट मंत्री के प्रसंग से इसका उदाहरण ले सकते है। आम आदमी की तो बात ही क्या करनी है।
प्रदेश भर में हालिया दिनों में जिस तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर टूटा है उसने लोगों के माथे पर चिंता की लकीर बना दी है। कहा तो यह जा रहा है कि महामारी का देवभूमि पर शुरूवाती हमला है, आगे यह और विकराल रूप धारण कर सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से लोगों ने कोरोना को भी अपनी बुनियादी समस्या सरीखा मान कर इसे सरकार के भरोसे छोड़ दिया है।
जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि बिना नागरिकों की सहभागिता के, कोरोना से निपटना मुश्किल है। क्योंकि दुनिया भर में इस लाइलाज महामारी से बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। फिर यह जानकारी सर्व व्याप्त है कि सोशल डिस्टेंसिंग और प्रोपर सैनेटाइजिंग के जरिए इससे बचा जा सकता है, तो उसे अपनाने में हर्ज ही क्या है! लेकिन देखने में आ रहा है कि लोग कोरोना संक्रमण को बहुत हल्के में ले रहें है। जहां नजर जाती है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग की ध्ज्जियां उड़ती दिखाई देती है।
लोग ऐसी विकट घड़ी में भी बेवजह घरों से बाहर निकल रहें है। बाजार में अनावश्यक भीड़ हो रहीं है। इस माहौल में जरूरी हो जाता है कि जनता सरकार के भरोसा बैठने की बजाय खुद भी आत्म नियंत्रण करे और बहुत जरूरी होने पर ही घरों से बाहर जाये। और बाहर पूरी तरह से कोरोना से बचाव के उपायों को अपनाये।