मोदी की लद्दाख यात्रा पर चीनी अखबार की प्रतिक्रिया
कोरोनोवायरस और आर्थिक मंदी के दौर में नाकामी छिपाने का प्रयास
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। जहां एक ओर प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी की लद्दाख यात्रा से सीमा पर तैनात सेना के जवानों का मनोबल बढ़ा है वहीं इससे चीन को मिर्च लगनी स्वाभाविक है। ऐसे में भला चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स भला प्रतिक्रिया कैसे न देता। उसने एक चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सैनिकों के साथ बातचीत करने के लिए चीन-भारत सीमा पर जाने का मकसद उनकी कोरोनो वायरस और अर्थव्यवस्था पर नाकामी को छिपाना है।
चीनी मुखपत्र लिखता है कि मोदी ने चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच सीमा संघर्ष के दिनों के बाद लद्दाख के सीमा क्षेत्र में एक अग्रिम पोस्ट का दौरा किया। उन्होंने मीडिया को बताया कि कमजोर व्यक्ति कभी भी शांति कायम नहीं कर सकता, शांति बहादुर करते हैं।
चीनी अखबार ने एक भारतीय चैनल की खबर का जिक्र करते हुए कहा कि उक्त भारतीय मीडिया ने मोदी की यात्रा को आश्चर्यचकित कहा और इसे भारतीय सैनिकों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला तथा चीन को एक सशक्त संदेश भेजने की बात कही।
इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन और भारत सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से स्थिति को आसान बनाने पर बातचीत में संलग्न हैं। ऐसे में किसी भी पक्ष को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो सीमा की स्थिति को जटिल कर सकती हो।
बीजिंग में सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान के अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने बताया कि मोदी ने उनके खिलाफ हो रही आलोचना से ध्यान हटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर मजबूत दिखाने का प्रयास किया। कोरोना वायरस और आर्थिक मंदी के दौर में अपनी सरकार की नाकामी से लोगों को भटकाने का प्रयास कर रहें है।
कियान ने कहा कि मोदी प्रफंटलाइन की तैयारी और तैनाती के बारे में जानकारी ले सकते हैं और अगले कदम की तैयारी कर सकते हैं। इस कदम ने चीन और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया है कि भारत राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा की अपनी प्रतिबद्वता में दृढ़ है। हालांकि भारत द्विपक्षीय तंत्र और बातचीत के माध्यम से स्थिति को आसान बनाने के लिए भी तैयार है।