देवदार और बांझ के जंगलों के बीच सुरम्य वादीः गंगोलीहाट
(गंगोलीहाट में सूर्योदय)
प्राकृतिक नजारे और धार्मिक पर्यटन की संगत
पवन रावत
गंगोलीहाट। दोस्तों! क्या प्राकृतिक सौन्दर्य आपको आकर्षित करता है? क्या आप प्रकृति के बीच कुछ समय बिताना चाहते हैं? क्या आप शांत वादियों के बीच ध्यान में खो जाना चाहते हैं या फिर आप प्रकृति की गोद में फैली बिखरी हुई खूबसूरती के सुन्दर नजारों को अपनी ही नजर से कैद कर अपनी स्वर्णिम स्मृतियों के कैनवास पर सदा के लिये संजोना चाहते हैं? अगर हां तो उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से बढ़िया जगह भला आपके लिये क्या हो सकती है।
तो आइये, आपको पहाड़ों की गोद में स्थित ऐसे ही खूबसूरत स्थल से रूबरू कराते हैं। प्रकृति के खूबसूरत नजारों और पहाड़ों की शांत वादियों में देवदार और बांज के घने जंगलों के बीच स्थित धार्मिक पर्यटन के लिये विशेष तौर पर प्रसिद्व स्थल जिसका नाम है- गंगोलीहाट! मित्रों, शानदार प्राकृतिक नजारों की खूबसूरती के साथ गंगोलीहाट का अपना ही विशेष महत्व है।
समुद्र तल से लगभग 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह खूबसूरत पर्यटक स्थल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुख्यालय से 77 किमी की दूरी पर स्थित है। पर्यटन के मानचित्र पर जहां यह हाट कालिका मन्दिर नामक सिद्व पीठ के लिये प्रसिद्व है। वहीं जमीन से 90 फीट नीचे एवं लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई विश्व प्रसिद्व पाताल भुवनेश्वर की गुफा यहां से महज 14 किमी दूरी पर स्थित है।
(गंगोलीहाट में सूर्यास्त)
गंगोलीहाट की नैसर्गिक सुंदरता, सामने की तरफ फैली वादियों का मनोरम दृश्य एवं बांज देवदार के घने जंगलों के बीच से गुजरती सर्पीली सड़कें आपको अनायास ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेती हैं। मानों आपसे बात करना चाहती हों। आप उनकी सुंदरता के मोहवश उनकी सुनना चाहेंगे और अपने मन एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति भी अवश्य ही करना चाहेंगे।
अन्य धार्मिक स्थलों में मनकेश्वर मन्दिर, लमकेश्वर मन्दिर, गुप्तेश्वर मन्दिर, सुरमल देवता मन्दिर, चामुंडा मन्दिर, हनुमान मन्दिर, कलशन मन्दिर, श्री 1008 गंगानाथ देवता मन्दिर दर्शनीय हैं। गुप्तड़ी एवं अन्य स्थानों से आप हिमालय की बर्फ से सराबोर चोटियों के दर्शन भी कर सकते हैं ।
(द्वराणी झील)
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिये विशेष तौर पर गंगोलीहाट क्षेत्र में प्राकृतिक सुन्दरता एवं घनघोर जंगलों की चारदीवारी के बीच लमकेश्वर मन्दिर एवं मणकेश्वर मन्दिर मार्ग, रणकोट उप्रेती से कुंजनपुर तक स्थानीय मार्ग सहित अन्य पहाड़ी पगडंडियों वाले रास्ते प्राकृतिक सुंदरता के साथ ट्रैकिंग के लिये उपलब्ध हैं।
स्थानीय निवासी एवं पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि गंगोलीहाट से सालिखेत तक एवं वापसी का पैदल मार्ग एक बेहतरीन ट्रैकिंग मार्ग है। बिष्ट के अनुसार पूर्व में अल्मोड़ा-जौलजीवी पैदल सम्पर्क मार्ग को बड़ी संख्या में लोग पैदल ट्रैक के तौर पर इस्तेमाल किया करते थे। ये इसी का एक हिस्सा है। अब भी इसे एक बेहतरीन पर्यटन ट्रैकिंग स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है।
(सुरेन्द्र बिष्ट के साथ लेखक)
पैराग्लाइडिंग के अंतरराष्ट्रीय पायलट एवं स्थानीय नागरिक शंकर बताते हैं कि गंगोलीहाट में साहसिक खेलों विशेषकर पैराग्लाइडिंग की बेहतरीन साइट मौजूद हैं। साहसिक खेलों को गंगोलीहाट सहित समस्त उत्तराखंड के पर्यटन में शामिल करने की पुरजोर मुहिम में जुटे शंकर साहसिक खेलों एवं पर्यटन में स्थानीय युवाओं के लिये अपार संभावनाएं देखते हैं। वे स्वयं गंगोलीहाट को एक एडवेंचर स्पोर्ट्स सर्किट के तौर पर विकसित करने के लिये प्रयासरत हैं। इसके लिये वे कुछ लैंडिंग साइट फाइनल भी कर चुके हैं। पर्यटकों को धार्मिक स्थलों के दर्शन के साथ ही सपरिवार एडवेंचर स्पोर्ट्स की प्रोफेसनल सुविधा का सम्पूर्ण पैकेज यहां उपलब्ध हो, इसके लिये वे लगातार हर स्तर पर प्रयासरत हैं। उनके अनुसार यहां पर पैराग्लाइडिंग के अलावा साइकिलिंग एवं ट्रैकिंग विशेष तौर पर पर्यटन को आजीविका में बदलने एवं पलायन पर अंकुश रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
(विश्व प्रसिद्व पाताल भुवनेश्वर गुफा)
दोस्तों, सिर्फ इतना ही नहीं गंगोलीहाट में झलतोला एवं दशाईथल के समीप दयाराणी में मिनी झील भी एक सुन्दर पर्यटक स्थल हैं। जहां की खूबसूरती एवं सूर्यास्त के मनोरम दृश्य बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
जी हां दोस्तों, जहां सुरेन्द्र बिष्ट एवं शंकर सिंह जैसे पर्यावरण प्रेमी एवं अनुभवी लोगों की पर्यटन को रोजगार से जोड़ने के अत्याधुनिक प्रयासों की मुहिम एवं आम जनता के सहयोग का गठजोड़ होगा, वहां निश्चित रूप से पर्यटन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे। यही वर्तमान की आवश्यकता है। सुरक्षित भविष्य की तरफ जाता एक व्यावहारिक रास्ता भी।
(हाट कालिका माता मंदिर)
गंगोलीहाट पहुंचने के लिये आप हल्द्वानी के रास्ते वाया अल्मोड़ा पनार होते हुए 214 किमी की दूरी अथवा अल्मोड़ा से सेराघाट के रास्ते लगभग 200 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय करते हुए पहुंच सकते हैं। काठगोदाम हल्द्वानी तक ट्रेन सेवा उपलब्ध है। पिथौरागढ़ में हवाई सेवा शुरू होने पर गंगोलीहाट से 77 किमी दूरी पर आप गाजियाबाद एवं देहरादून से सीधे फ्रलाइट से भी पहुंच सकते हैं।
लाकडाउन में एक नये अनुभव से गुजरने के बाद आप निश्चित ही प्रकृति की शरण में जाना चाहेंगे। तो इंतज़ार किस बात का? जब भी स्थितियां सामान्य हों, सुरेन्द्र और शंकर की टीम यहां के ट्रैकिंग मार्ग गंगोलीहाट और उसकी नैसर्गिक खूबसूरती के साथ आपके स्वागत के लिये तैयार है। अपने तन मन और कैमरे से यहां की नैसर्गिक सुन्दरता को महसूस करने के लिये निश्चित ही आप यहां आना पसंद करेंगे और हां गंगोलीहाट की शान्त खूबसूरत वादियां भी आपके स्वागत के लिये तैयार हैं!
(टीम पर्वतीय निशान्त)