तपेदिक और चिकनगुनिया रोधी फ्लेवोनाइड अणुओं के लिए पहला सिंथेटिक रास्ता खोजा
टीबी प्रोटीन के साथ रगोसाफ्लेवोनाइड्स का अंतः क्रिया विश्लेषण
एजेंसी
नई दिल्ली। रगोसाफ्लेवोनाइड, पोडोकारफ्लेवोन और आइसोफ्लेवोन जैसे लेफ्वोनाइड अणु जिन्हें तपेदिक और चिकनगुनिया रोधी पाया गया है, उन्हें अब तक पौधों से पृथक किया गया था। अब पहली बार वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इन अणुओं को संश्लेषित करने के लिए मार्ग प्रकट किया है, जिससे जिन औषधीय पौधों में इन्हें पाया जाता है, उनका अतिदोहन किए बगैर सभी मौसमों में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) पुणे के वैज्ञानिकों ने तपेदिक और चिकनगुनिया के उपचार से संबंधित फ्लेवोनाइड अणुओं के निर्माण के लिए पहला सिंथेटिक मार्ग खोजा है। कोविड-19 की संभावित उपचार प्रतिक्रिया के संबंध में इसमें प्रारंभिक संकेत देखे गए हैं।
डा0 प्रतिभा श्रीवास्तव और एआरआई की उनकी टीम द्वारा सहकर्मियों की समीक्षा वाली वैज्ञानिक पत्रिका एसीएस ओमेगाश द्वारा में हाल ही में प्रकाशित कार्य के अनुसार उन्होंने रगोसाफ्लेवोनाइड, पोडोकारफ्लेवोन और आइसोफ्लेवोन जैसे फ्लेवोनाइड्स के पहले पूरे संश्लेषण को विकसित किया है। श्रगोसाफ्लेवोनाइड एश एक चीनी औषधीय पौधे रोजा रगोजा से प्राप्त बताया जाता है। पोडोकारफ्लेवोन ए’ को पोडोकार्पस मैक्रोफाइलस पौधे से अलग किया जाता है।
डा0 श्रीवास्तव बताती हैं कि ज्यादातर आयुर्वेदिक उत्पाद फ्लेवोनाइड्स से भरपूर होते हैं। लेवोनाइड ज्यादातर टमाटर, प्याज, सलाद पत्ता, अंगूर, सेब, स्ट्राबेरी, आड़ू और अन्य सब्जियों में मौजूद होते हैं। फ्लेवोनाइड्स से भरपूर आहार हमें दिल, जिगर, गुर्दा, मस्तिष्क से संबंधित और अन्य संक्रामक रोगों से बचाता है। अभी दुनिया कोविड-19 के कारण एक दर्दनाक स्थिति का सामना कर रही है। चूंकि फ्लेवोनाइड्स रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं इसलिए फ्लेवोनाइड-समद्व आहार का सुझाव दिया जाता है।
फ्रलेवोनाइड्स का एंटी-चिकनगुनिया वायरस (चिक वी) परीक्षण
फ्रलेवोनाइड्स को आमतौर पर पौधों से अलग किया जाता है। हालांकि प्राकृतिक उत्पादों में असंगति विभिन्न मौसमों, स्थानों और प्रजातियों में हो सकती है। इन बाधाओं के साथ औषधीय पौधों का अत्यधिक दोहन पर्यावरण पर एक अतिरिक्त बोझ डालता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए इस तरह के उत्पादों को सरल और लागत प्रभावी तरीकों से प्रयोगशाला में सिंथेटिक प्रोटोकाल द्वारा विकसित किया जा सकता है। सिंथेटिक प्राकृतिक उत्पादों में प्राकृतिक उत्पाद के समान ही संरचना और औषधीय गुण होते हैं।
फ्रलेवोनाइड्स की रासायनिक संरचना महिला हार्माेन 17-बीटा-एस्ट्राडियोल (एस्ट्रोजन) के समान ही है। इसलिए फ्रलेवोनाइड्स उन महिलाओं के जीवन को आसान कर सकते हैं जो प्रीमेनोपाजल यानी रजोनिवृत्ति से पहले के चरण में समस्याओं का सामना करती हैं। डा0 श्रीवास्तव कहती हैं कि रगोसाफ्रलेवोनाइड्स को संश्लेषित करते समय मेरी टीम ने डीहाइड्रो रगोसा फ्रलेवोनाइड्स प्राप्त किए हैं, जो चिकनगुनिया और तपेदिक जैसे अत्यधिक संक्रामक रोगों को रोकने में बहुत शक्तिशाली पाए जाते हैं। स्पाइक प्रोटीन, प्रोटीएज और आरडीआरपी को लक्षित करके कोविड-19 को रोकने के लिए इन अणुओं का कम्प्यूटेशनल विश्लेषण भी प्राप्त किया गया है और परिणाम उत्साहजनक हैं।
डा0 श्रीवास्तव ने पैरीमेनोपाजल चरण के दौरान की महिलाओं की समस्याओं के लिए अपने पीएचडी छात्रा निनाद पुराणिक द्वारा संश्लेषित यौगिकों में भी भरोसा जताया। डा0 श्रीवास्तव ने कहा कि सिंथेटिक रसायन विज्ञान में, प्राकृतिक उत्पादों के एनालाग्स (सादृश्यों) को समान मार्ग से तैयार किया जा सकता है। कई बार एनालाग्स प्राकृतिक उत्पादों की तुलना में बेहतर औषधीय गुण दिखाते हैं।