केंद्रीय कर्मचारियों पर लागू होगा रिटायरमेंट का नियम और काम की समीक्षा का तरीका
कर्मचारियों के जुलाई से सितंबर की अवधि के काम की समीक्षा जनवरी से मार्च के बीच की जाएगी। इसके अलावा अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के काम की समीक्षा अप्रैल-जून तिमाही में की जाएगी।
संवाददाता
देहरादून। केंद्र सरकार ने सापफ किया है कि किसी कर्मचारी की नौकरी के 30 साल पूरे होने पर परफार्मेंस के आधार पर उसे समय से पहले रिटायर किया जा सकता है। फंडामेंटल रूल 56(जे)/आई और सीसीएस (पेंशन) नियम को एक बार फिर स्पष्ट करते हुए सरकार ने यह बात कही है।
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने आदेश में सभी विभागों एवं मिनिस्ट्रीज को आदेश दिया है कि 50 से 55 साल से ज्यादा की आयु या फिर नौकरी के 30 साल पूरे कर चुके कर्मचारियों की तिमाही समीक्षा की जाए। सरकार के इस आदेश के बाद से ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों की इसे लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आदेश के मुताबिक कर्मचारियों के जुलाई से सितंबर की अवधि के काम की समीक्षा जनवरी से मार्च के बीच की जाएगी। इसके अलावा अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के काम की समीक्षा अप्रैल-जून तिमाही में की जाएगी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल का ही वक्त रह गया है तो फिर उसे रिटायर नहीं किया जाएगा। हालांकि काम में बड़े पैमाने पर कमी पाए जाने पर समय पूर्व रिटायरमेंट पर भी विचार किया जा सकता है। रिव्यू के दौरान किसी भी कर्मचारी के एन्युअल परफार्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट के अलावा पूरे सर्विस रिकार्ड को भी देखा जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों के काम की समीक्षा के लिए रिव्यू कमिटी का गठन किया जाएगा और नियमों के आधार पर काम का असेसमेंट किया जाएगा। नान-गजेटेड कर्मचारियों के काम की समीक्षा के लिए गठित होने वाली कमिटी की अध्यक्षता संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे। यदि अपाइंटिंग अथारिटी में संयुक्त सचिव के लेवल से नीचे के अधिकारी हैं तो फिर कमिटी की अध्यक्षता डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी करेंगे।
नए आदेश को लेकर जताई जा रही चिंताओं को लेकर एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह कोई नियम नहीं है। इस आदेश के जरिए पुराने नियम को ही एक बार और स्पष्ट किया गया है। 28 अगस्त के ओएम इंस्ट्रक्शन का उद्देश्य व्याख्या में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता को खत्म करना है चाहे वह सरकारी कर्मचारी के परफार्मेंस रिव्यू के संदर्भ में हो या फिर समय से पहले रिटायरमेंट के संदर्भ में। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ताजा डीओपीटी आफिस मेमोरेंडम में कोई नया नियम नहीं है। ये सब उसी प्रक्रिया का हिस्सा है, जो अब तक केंद्रीय कर्मचारियों के रिटायरमेंट के लिए फालो की जाती रही है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य नियमों में स्पष्टता लाना है।