सेवा नियमावली में संशोधन का अनुरोध
उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने पत्र लिखकर किया अनुरोध
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने ऊर्जा के तीनों निगमों के प्रबंध निदेशक को अवर अभियंता (विद्युत एवं यांत्रिक) एवं अवर अभियंता (जानपद) की सेवा नियमावली में संशोधन किए जाने के लिए पत्र प्रेषित किया है। एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने पत्र के माध्यम से सेवा नियमावली में संशोधन के लिए अनुरोध किया है। जिसके अनुसार अवर अभियंता को उत्तराखंड का मूल निवासी/स्थाई निवासी होना आवश्यक होना चाहिए। सेवा नियमावली के बिंदु संख्या-21(प)(ड) में अवर अभियंता की मौलिक नियुक्ति से पूर्व एक वर्ष तक प्रशिक्षु के रूप में नियुक्ति होगी जबकि सहायक अभियंता सेवा नियमावली में एक वर्ष की प्रशिक्षण अवधि को समाप्त करते हुए सीधे सहायक अभियंता के पद पर मौलिक नियुक्ति की जाएगी। जो कि विद्युत अधिनियम के नियम-3(2ए) का खुला उल्लंघन है। इसके अनुसार विद्युत उप संस्थानों एवं पावर हाउस पर प्रत्येक तकनीकी कर्मी का प्रशिक्षण होना सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। यदि सहायक अभियंता सेवा नियमावली में एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त किया जाता है तो अवर अभियंता को भी समानता देते हुए एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त कर सीधे अवर अभियंता के पद पर मौलिक नियुक्ति दी जाए।
इसके अलावा अवर अभियंता एवं सहायक अभियंता की परिवीक्षा अवधि अलग-अलग रखी गई है। यह दोहरे मापदंड को दर्शाता है। वरिष्ठता का निर्धारण वरिष्ठता नियमावली 1998 के अनुसार मौलिक नियुक्ति की तिथि से ही होना चाहिए तथा प्रोन्नत को वरिष्ठता क्रम में सीधी भर्ती के अभ्यर्थी से ऊपर प्रथम स्थान पर होना चाहिए। अभियंता सेवा नियमावली के भाग-5 बिंदु-21(प)में अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति के लिए बीटेक/ए०एम०आई०ई० डिग्री अनिवार्य की गई है जोकि अवर अभियंता, सहायक अभियंता एवं अधिशासी अभियंता के पद पर अर्जित अनुभव की उपेक्षा है। उत्तराखंड राज्य सरकार के अंतर्गत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। डिप्लोमा इंजीनियर को अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति से वंचित रखना न्याय विरुद्ध होगा, जबकि शासन एवं सरकार ने प्रत्येक कर्मचारी को तीन समयबद्ध वेतनमान एवं तीन प्रोन्नति की व्यवस्था प्रदान की है।
केंद्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने प्रबंधन द्वारा सेवा नियमावली को अन्तिम रूप देने से पूर्व संगठनों/एसोसिएशनों से प्रत्यावेदन/अभिमत प्राप्त करने के लिए प्रबंधन का धन्यवाद देते हुए यूपीजेईए का पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने तीनों निगमों के प्रबंधन से अनुरोध किया कि अवर अभियंता की नियुक्ति की आयु सीमा 42 वर्ष है ऐसे में तृतीय प्रोन्नति पाना अपने आप में असंभव प्रतीत होता है, अतः कार्मिकों की सेवा कमतर करना न्यायोचित नहीं है।
भेजे पत्र में अपने सुझावों के माध्यम से उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन अनुरोध करता है कि सेवा विनियमावली में उक्त संशोधनों को सम्मिलित करते हुए 9 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की अवधि में एसीपी/समयबद्ध वेतनमान की व्यवस्था प्रदान की जाए। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि यूपीजेईए के केंद्रीय महासचिव जेसी पंत द्वारा पूर्व में ही इस संदर्भ में पत्र लिखा जा चुका है।