मैड ने रिस्पना बिंदाल के पुनर्जीवन हेतु नमामि गंगे कोष के इस्तेमाल पर प्रसन्नता जतायी
संवाददाता
देहरादून। मेकिंग अ डिफरेंस बाय बींग द डिफरेंस मैड ने राज्य सरकार द्वारा नमामि गंगे कोष से रिस्पना बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन हेतु कदम उठाने का स्वागत किया है। गौरतलब है कि मैड के प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर से वर्ष 2016 में मुलाकात की थी और सर्वप्रथम मैड ने यह बात सीधे भारत सरकार से उठाई थी कि क्योंकि रिस्पना और बिंदाल नदियां सुसवा बनकर सोंग के साथ मिलकर गंगा नदी में विलय करती है, इसीलिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट से इन दोनों नदियों का उत्थान संभव है। एक विस्तृत प्रस्तुति के पश्चात भारत सरकार ने रिस्पना और बिंदाल नदियों को गंगा रिवर बेसिन का भाग चिन्हित कर दिया था।
इस पत्र को मैड द्वारा तत्कालीन हरीश रावत सरकार से भी साझा किया गया था और बाद में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने पर अप्रैल 2017 में उनको भी यह सुझाव दिया गया था कि क्योंकि राज्य सरकार कहती है उसके पास हमेशा पैसों की कमी रहती है, नमामि गंगे के कोष से इस पर्यावरण संरक्षण के काम हेतु मदद ली जा सकती है।
मैड ने इस बात की प्रसन्नता जताई है कि 3 साल बाद ही सही, नालों और सीवरांे को ट्रीट करने हेतु अब राज्य सरकार इस तरह का कदम उठाने के पक्ष में आ गई है। मैड ने उम्मीद जताई हैं की कार्यक्रमों से आगे बढ़कर रिस्पना पुनर्जीवन के लिए सरकार कुछ ठोस कदम भी उठाएगी। जैसे अतिक्रमण पर कार्यवाही करना, एमडीडीए द्वारा चलाए जा रहे विषैले रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोग्राम को बंद करना एवं तकनीकी और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार रिस्पना पुनर्जीवन हेतु ना केवल पौधा रोपण करना बल्कि उनकी ऐसे रोपण के बाद देखभाल करना।