ध्यान का फायदा तभी जब इसे सही से किया जाये
मेडिटेशन करने के नियम और इसकी विधियां
प0नि0डेस्क
देहरादून। प्रत्येक आसन के कुछ नियम और विधियां होती हैं जिसके द्वारा ही यौगिक क्रियाओं को किया जाता है। बता दें कि किसी भी यौगिक क्रिया का लाभ तभी ले सकते हैं जब उसको सही तरीके से किया जाए। मेडिटेशन करने की भी कुछ विधि है जो ध्यान में रखनी होती है। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो उसका पूर्णतः लाभ नहीं मिल पायेगा।
मेडिटेशन के लिए इस मुद्रा में बैठें- एक्सरसाइज मैट जमीन पर बिछाकर कमर को सीधी करके सुखासन या पदमासन मुद्रा में बैठ जाएं। गर्दन सीधी और आंखों को बंद करें। प्रारम्भ में मन इधर-उधर भटकता है इसको रोकने के लिए या मन को शांत करने के लिए केवल एक किसी भी विचार पर मन को केंद्रित करें।
ध्यान को इस तरीके से करें केंद्रित- मानव मन अत्यधिक चंचल होता है इसलिए एक जगह उसको केंद्रित रखना मुश्किल होता है। यदि ध्यान या मेडिटेशन कर रहें हैं तो उस समय ओम या अन्य किसी जाप पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसके आलावा यदि संगीत के शौकीन हैं तो साउंड में प्राकृतिक संगीत लगाकर मेडिटेशन पर फोकस कर सकते हैं।
मेडिटेशन के लिए श्वास की गति- मेडिटेशन करते समय श्वांस की गति ना तो अत्यधिक तेज होना चाहिए और ना अधिक धीमी होना चाहिए। मेडिटेशन करते समय श्वास की गति हमेशा सामान्य होनी चाहिए। श्वास की तेज और धीमी गति के कारण ध्यान भटक जाता है।
मानसिक रूप से मंत्र जाप करना- मन को आज्ञाचक्र यानि दोनों भोंओं के मध्य में टिकना जरुरी होता है। अब मानसिक रूप से मंत्र जाप करना चाहिए और दो मंत्रों के अंतराल में मन को स्थिर रखना चाहिए। कुछ समय पश्चात फिर से ऐसा करने से आज्ञाचक्र पर प्रकाश पुंज दिखाई देने लगता है। यदि ध्यान करते समय आज्ञाचक्र पर अपने इष्टदेव की मूर्ति दिखाई देने लगे तो उसी का मन में ध्यान करना चाहिए।
मेडिटेशन का अंतिम चरण- सतत अभ्यास से प्रकाश पुंज या अपना जिस भी किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित किया है वह स्वतः गायब होने लगती है तथा मन अवनी दिशा में पहुंचने लगता है। जब मन अवनी दिशा में पहुंच जाता है तो व्यक्ति को शांति और आनंद की अनुभूत होती है। मेडिटेशन पूर्ण होने के बाद अपनी आंखों को धीमी गति से मुस्कुराते हुए खोलें।