वैज्ञानिकों ने बनाया कोरोना जैसा पार्टिकल
ये पार्टिकल महामारी फैलाने वाले वायरस को मार देगा
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। दुनियाभर के लोग पूरे साल जानलेवा कोरोनावायरस की लाल तस्वीर देखते रहे। नए साल के पहले दिन उस अनोखे पार्टिकल की तस्वीर देखिए जो हू-ब-हू कोरोनावायरस की तरह दिखता है। इसके चारों ओर भी कोरोनावायरस की तरह स्पाइक्स हैं। लेकिन यह उलटा काम करता है। यह कोरोना फैलाता नहीं बल्कि उसके वायरस को मारता है।
दुश्मन को मारने के लिए उसके जैसे वेष में उसकी सेना में घुस जाओ। ठीक उसी अंदाज में वीएलची को भी हू-ब-हू कोरोनावायरस की तरह प्रोटीन से बनाया गया है। इन पार्टिकल्स से दुनिया भर में कोरोना की कई वैक्सीन तैयार की जा रही हैं। इनमें कई वैक्सीन्स के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं।
वैक्सीन के जरिए जैसे ही वीएलची इंसानी शरीर में पहुंचेंगे तो वह धोखा खा जाएगा। शरीर को लगेगा कि कोरोनावायरस आ गया है और वह इसे मारने के लिए अपनी प्रतिरोधक तंत्र को सक्रिय कर देगा।
शरीर में कोरोना के खिलापफ एंटीबाडीज बनना शुरू हो जाएंगी। वह भी इतनी तादाद में कि कई महीनों या साल तक अगर हमारे शरीर का सामना असली कोरोनावायरस से होता है तो पहले से तैयार एंटीबाडीज उसे मार देंगे।
दूसरी तकनीकों से बनने वाली कई वैक्सीन्स की तरह इन पार्टिकल से बनने वाली वैक्सीन से कोरोना होने का बिल्कुल भी डर नहीं। दरअसल इनमें किसी भी वायरस की जान, यानी जेनेटिक मेटेरियल ही नहीं है। यह पार्टिकल्स कोरोनावायरस की तरह होने के बावजूद अपनी संख्या बढ़ा नहीं सकते।
दुनिया की कई कंपनियां इस नई टेक्नोलाजी से वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। अब तक स्तनधारियों से लिए गए प्रोटीन के जरिए यह पार्टिकल बनाए जा रहे थे, लेकिन कनाडा की बायोटेक्नोलाजी कंपनी Medicago ने मात्र 20 दिनों में पौधों के प्रोटीन से कोरोना के वीएलपी बना लिए हैं।
कंपनी का दावा है इस टेक्नोलाजी से तैयार वैक्सीन बेहद सस्ती, कम समय और कम जगह में तैयार होगी। कंपनी ने इस आधार पर कोरोना वैक्सीन विकसित कर ट्रायल जुलाई में ट्रायल शुरू किए। इस तकनीक से वैक्सीन तैयार करने में एंटीजन की बेहद कम मात्रा में जरूरत होती है। ऐसे में कम खर्च में वैक्सीन से ज्यादा डोज तैयार की जा सकती हैं।
भारत में हैदराबाद की जीनोम वैली में स्थित फार्मा कंपनी बायोलाजिकल इ ने वीएलपी आधारित कोरोना वैक्सीन तैयार की है। जिसके फेस-1 और फेस-2 के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं।
परंपरागत रूप से वैक्सीन के लिए एंटीजन बनाने के लिए जीवित वायरस को मारकर विभाजित किया जाता है। इसके लिए भारी संख्या में वायरस की जरूरत होती है। इसके काम में आमतौर पर मुर्गी के चूजों के भ्रूण या निषेचित अंडों को बायो-रिएक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मतलब अनुकूल वातावरण बनाकर इनमें ही भारी संख्या में वायरस पैदा किए जाते हैं।
जबकि वीएलपी वाली वैक्सीन में वायरस जैसे पार्टिकल्स को भारी संख्या में बनाने के लिए पौधों को बायो-रिएक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह वैक्सीन बनाने का कच्चा माल यानी एंटीजन न केवल कम समय में बल्कि बेहद कम लागत से तैयार हो जाता है। इससे वैक्सीन भी सस्ती और तेजी से तैयार की जा सकती है।
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