नमस्ते नमस्कार में अंतर
प0नि0डेस्क
देहरादून। अक्सर हम आपस में जब भी मिलते है तो नमस्ते या नमस्कार करके एक दूसरे का अभिवादन करते है। लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि इन दोनों अभिवादन के तरीकों के अभिप्राय में अंतर है।
नमस्ते या नमस्कार कहने से उसके अलग अलग अर्थ हो जाते है। भले ही आप सामने वाले के सम्मान में ऐसा करते है लेकिन यदि इन्हें गलत प्रयोग किया तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि नमस्ते या नमस्कार में क्या भिन्नता है।
दरअसल नमस्ते हमेशा अपने से बड़ों के लिए प्रयोग किया जाता है। जबकि नमस्कार अपने बराबर या अपने से छोटे व्यक्ति के लिए किया जाता हैं। यानि यदि आपने अपने से बड़ों के लिए नमस्कार का प्रयोग कर दिया तो सम्मान की जगह गलती से आप उनका तिरस्कार कर रहें है।
माना जाता है कि ‘नमः’ का मतलब ‘अभिवादन’ और ‘ते’ का मतलब ‘आपका’ होता है। इसलिए नमस्ते का शाब्दिक अर्थ ‘आपका अभिवादन’ होता है। या पिफर नमः अस्तुते ‘मैं आपकी स्तुति/अभिनंदन करता/करती हूं।
दूसरी तरफ नमस्कार का भी एक सांकेतिक मतलब होता है। नमस्कार का शाब्दिक अर्थ अभिवादन स्वीकार करना होता है। नमः स्वीकार यानी आपका अभिनंदन स्वीकार करता/करती हूं। इसलिए अगली बार जब किसी का अभिवादन करें तो इस बात को जरूर ध्यान में रखें।
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