रविवार, 28 फ़रवरी 2021

डीबीटी ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया

 डीबीटी ने  अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया

एजेंसी

नई दिल्ली। बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया। “कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में विभाग की भूमिका सराहनीय है। आत्मनिर्भर भारत 3.0 में कोविड सुरक्षा के लिए कोविड वैक्सीन के विकास में 900 करोड़ रुपये का एक विशेष अनुदान विभाग को आवंटित किया गया है” समारोह में वक्ता ने बताया। 

डीबीटी के 35वें स्थापना दिवस को मनाने का समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित हुआ। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि विभाग हमारे देश को जैव प्रोद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अद्भुत प्रयास कर रहा है। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय जैवचिकित्सा संसाधन स्वदेशीकरण संघ (एनबीआरआईसी) इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होने साथ ही कहा कि इस मंच का लक्ष्य कोविड 19 और उससे आगे की रोग चिकित्सा, वैक्सीन और निदान में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

वक्ताओं ने साथ ही बीते साल के दौरान अनाज फसलों की उन्नत किस्मों के विकास के लिए कृषि जैव प्रोद्योगिकी क्षेत्र में बड़े मिशन की शुरूआत करने के लिए डीबीटी की प्रशंसा की। उन्होंंने जानकारी दी कि डीबीटी का जैव प्रोद्योगिकी किसान कार्यक्रम 105 आकांक्षीपूर्ण जिलों में लागू किया गया है और अब तक 50 हजार से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। उन्होने ये भी बताया कि सरकारी और निजी संस्थानों को आधुनिक फसल जीनोमिक्स तकनीक और जीनोटाइपिंग सेवाओं के लिए डीबीटी-एनजीजीएफ- राष्ट्रीय जीनोटाइपिंग एवम जीनॉमिक्स सुविधा की स्थापना की गई। आणविक प्रजनन के जरिए मक्का में पोषणता संवर्धन के जरिए 3 उन्नत संकरित मक्का विकसित किए गए हैं। इसे भी प्रमुखता से बताया गया था कि डीबीटी ने कृषि क्षेत्र में नवाचार पर जोर देने के लिए “भारत में खाद्य उत्पादों और नैनो-आधारित कृषि- इनपुट के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश” जारी किए हैं।  

प्रतिभागियों ने जोर देकर कहा कि देश में उत्पन्न होने वाले जैविक आंकड़ों को जमा करने, संग्रहण, व्याख्या और साझा करने के लिए विभिन्न सरकारी संस्थाओं से मिली व्यापक पूंजी से डीबीटी के द्वारा भारतीय जैविक डाटा केंद्र (आईबीडीसी) स्थापित किया गया था। वक्ताओं ने कहा कि भारत की जनता में आनुवांशिक विविधिता को सूचीबद्ध करने के लिए पैन इंडिया जीनोम इंडिया की शुरुआत की गई थी, जिसका लक्ष्य संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण और बाद में 10,000 व्यक्तियों के आंकड़ों का विश्लेषण करना है।

समारोह में विभिन्न श्रेणियों में प्रतिष्ठित ब्राइट (जैव प्रोद्योगिकी अनुसंधान नवाचार एवं तकनीकी उत्कृष्टता) पुरस्कार भी दिए गए। पुरस्कार जीतने वालों को हर गोविंद खुराना नवप्रवर्तनशील युवा बायोटेक्नोलॉजिस्ट पुरस्कार (आईवाईबीए), बायोटेक प्रोडक्ट, प्रक्रिया विकास और वाणिज्यीकरण पुरस्कार (बीपीपीडीसीए), टाटा नवाचार फैलोशिप (टीआईएफ), एस रामाचंद्रन- कैरियर डेवलपमेंट के लिए राष्ट्रीय जैव विज्ञान पुरस्कार (एसआरसी-एनबीएसीडी) और जे अम्माल राष्ट्रीय महिला जैव-वैज्ञानिक पुरस्कार (जेए-एनडब्लूबीए) पाने के लिए” सभी से बधाई मिली।

 

इस अवसर पर कोविड-19 महामारी का शमन करने के लिए डीबीटी की पहल और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली ई-बुक “डीबीटी का कोविड से संघर्ष-वायरस से वैक्सीन तक” का अनावरण भी किया गया जिसमें, वैक्सीन, निदान, जैविक संग्राहक, चिकित्सा, जीनोम विश्लेषण और अन्य मध्यवर्ती कदम शामिल किए गए हैं। 

अवसर पर बोलते हुए डीबीटी सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप ने जानकारी दी कि विभाग ने बीते एक साल में कई सुधार लागू किए हैं और जैव प्रोद्योगिकी उत्पादों के उत्पादन, प्रक्रिया और तकनीक पर जोर दिया है जिससे कृषि, भोजन और पोषण सुरक्षा, सस्ती स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, जैव ईंधन और जैव उत्पादन में बढ़ी हुई दक्षता, उत्पादकता और लागत प्रभावकारिता मिले। डॉ रेणु स्वरूप ने यह भी जानकारी दी कि विभाग ने कई कार्यक्रमों के माध्यम से प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय मिशन– स्वस्थ भारत, स्वच्छ भारत, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के लिए बड़ा योगदान दिया है।

 

इस अवसर पर डीबीटी ने भारत में “जैव प्रोद्योगिकी के विकास के 35 साल- एक रोमांचक यात्रा’ पर वेबिनार का आयोजन किया। डीबीटी की पूर्व सचिव डॉक्टर मंजू शर्मा ने डीबीटी और उसके सभी संस्थानों के उज्जवल भविष्य की कामना की। भारत सरकार के पीएसए और डीबीटी के पूर्व सचिव प्रोफेसर विजय राघवन ने उद्घाटन भाषण दिया। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जैसे प्रोफेसर पद्मनाभन, आईआईएससी, बेंगलुरु; प्रोफेसर बलराम आईआईएससी, बेंगलुरु; प्रोफेसर अखिलेश त्यागी, पूर्व निदेशक, डीबीटी-एनआईपीजीआर, नई दिल्ली; प्रोफेसर विजयालक्ष्मी रविंद्रनाथ, सेंटर फ़ॉर न्यूरोसाइंस, आईआईएससी, बेंगलुरु और डॉक्टर दिपानविता चट्टोपाध्याय, चेयरमैन और सीईओ आईकेपी नॉलेज पार्क, हैदराबाद; ने भी इस अवसर पर संबोधित किया।


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